असली मतलब समझा दिया… ऑल इंडिया लोको रनिंग स्टाफ एसोसिएशन के मंडल सचिव संजय गोयल ने बताया कि रेल प्रशासन और मुख्य चिकित्सा अधीक्षक को लिखित में लम्बे उपवास की सूचना दी थी, लेकिन कोई स्वास्थ्य जांचने नहीं आया।इंजन के भीतर गर्मी में बिना खाना खाए ड्राइवर 10 घंटे तक टे्रन चलाते रहे। ऐसे संरक्षा मानकों के तहत रेलवे की ओर से भूखे ट्रेन चालकों को मेडिकल कराने का भी कोई इंतजाम नहीं किया।
अध्यक्ष का असली मतलब समझा दिया…
खतरनाक है यह उपवास
संरक्षा जानकारों के अनुसार रेलवे में फि टनेस और स्वास्थ्य के सबसे कड़े मानक केवल ट्रेन चालको के ही हैं। सिग्नल देखने में चूक न हो, हार्ट अटेक जैसी आकस्मिक स्थिति न हो इसके लिए तय समय पर उनका नियमित परीक्षण मंडल अस्पताल में किया जाता है। इस उपवास में यदि किसी पायलट या सहायक लोको पायलट की तबियत बीच रास्ते बिगड़ गई तो ट्रेन में बैठे हजारों यात्रियों के जीवन पर खतरा मंडरा सकता है।