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इसी बीच राजस्थान लेखा सेवा की अधिकारी डॉ. पुरवा अग्रवाल ने राजस्थान पत्रिका डॉट कॉम के पाठकों के लिए कृष्ण जन्मोत्सव को लेकर कविता की रचना की है। प्रस्तुत हैं उनकी कविता के कुछ अंश।
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जन्माष्टमी का यह उत्सव
कृष्ण जन्म के जश्न का पर्व
नंदलाल का हुआ उदय
होता हर्षित, उमंगित, हृदय। आज भांति-भांति के पाक बनेंगे
पूर्ण दिन उपवास मध्य रात्रि में खुलेंगे
दही हांडी का खेल खेला जाएगा।
झांकियों में कृष्ण जन्म मन को लुभाएगा। मक्खन चुराने की रीत, राधा से प्रीत
कृष्ण देते गीता की भी सीख
जनमानस में कृष्ण यूं सम्मिलित
दैनिक अभिवादन हरे कृष्ण से अलंकृत
कृष्ण आमजन के प्रतीक हैं
शरारतें, अठखेलियां, क्रीड़ा में जैसे एक है
परिक्वता कृष्ण की महाभारत में
सामान्य होकर भी बुद्धि विचारों में।
कृष्ण जीवन की यौवनता भी है
कृष्ण स्थायित्व और संतुलन के प्रणेता भी हैं व्यस्त तनावपूर्ण वर्तमान जीवनचर्या
कृष्ण का माधुर्य, सहजता, सरलता
भयरहित, निष्काम कर्म की मानसिकता
कृष्णमयी भावों की वर्तमान आवश्यकता
उल्लसित, तरंगित, उर्जित जीवन की कामना
कृष्ण का जीवन, इसकी पूर्ण अनुपालना
शरारतें, अठखेलियां, क्रीड़ा में जैसे एक है
परिक्वता कृष्ण की महाभारत में
सामान्य होकर भी बुद्धि विचारों में।
कृष्ण जीवन की यौवनता भी है
कृष्ण स्थायित्व और संतुलन के प्रणेता भी हैं व्यस्त तनावपूर्ण वर्तमान जीवनचर्या
कृष्ण का माधुर्य, सहजता, सरलता
भयरहित, निष्काम कर्म की मानसिकता
कृष्णमयी भावों की वर्तमान आवश्यकता
उल्लसित, तरंगित, उर्जित जीवन की कामना
कृष्ण का जीवन, इसकी पूर्ण अनुपालना
मन कृष्ण, बुद्धि कृष्ण, जीवन कृाष्णिक
कृष्णता आज अधिक प्रासंगिक
कृष्ण पूजनीय, कृष्ण प्रेरक, कृष्ण बहुरंग
मानवीय भावनाओं से जुड़े कृष्ण के प्रसंग।
भोग लगा, भजन कर, कृष्ण को पूजें हम
ईश्वर प्रतिकृति में आजमन सर्वाधिक निकट कृष्ण संग
कृष्णता आज अधिक प्रासंगिक
कृष्ण पूजनीय, कृष्ण प्रेरक, कृष्ण बहुरंग
मानवीय भावनाओं से जुड़े कृष्ण के प्रसंग।
भोग लगा, भजन कर, कृष्ण को पूजें हम
ईश्वर प्रतिकृति में आजमन सर्वाधिक निकट कृष्ण संग