scriptबापू हम शर्मिंदा हैं, आपसे किए वादे आज भी फाइलों में जिंदा हैं, कोटा में भी विसर्जित हुई थी गांधी की अस्थियां | Kota News: Gandhi Jayanti 2019: Gandhi Jayanti Celebrated in India | Patrika News

बापू हम शर्मिंदा हैं, आपसे किए वादे आज भी फाइलों में जिंदा हैं, कोटा में भी विसर्जित हुई थी गांधी की अस्थियां

locationकोटाPublished: Jul 16, 2019 02:42:32 am

Submitted by:

​Zuber Khan

gandhi jayanti 2019: कोटा बापू से बोले गए झूठ के कारण शर्मिंदा है।

gandhi jayanti 2019

बापू हम शर्मिंदा हैं, आपसे किए वादे आज भी फाइलों में जिंदा हैं, कोटा में भी विसर्जित हुई थी गांधी की अस्थियां

कोटा. 2 अक्टूबर 2017… ( gandhi jayanti ) यही वो दिन था जब नगर विकास न्यास ( Kota UIT ) ने रामपुरा घाट स्थित गांधी स्मृति स्थल को दिल्ली के राजघाट की तरह विकसित करने की घोषणा की थी, लेकिन डेढ़ साल बाद योजना पर अमल करना तो दूर उसकी डिटेल प्रोजेक्ट रिपोर्ट तक नहीं बनी। ऐसे में जब पूरा देश राष्ट्रपिता की 150वीं जयंती मना रहा है, ( mahatma Gandhi Jayanti 2019 ) कोटा ( kota ) बापू से बोले गए झूठ के कारण शर्मिंदा है।
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12 फरवरी 1948 के दिन राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की अस्थियों को कोटा में चम्बल किनारे बने रामपुरा घाट पर छोटी समाध के पास विसर्जित किया था। जिसकी याद में एक शिलालेख भी स्थापित है, लेकिन वक्त के साथ लोग जगह की महत्ता भूल गए और यह ऐतिहासिक स्थल दुर्दशा का शिकार हो गया। स्थिति यह थी कि कोटा के लोगों को इस ऐतिहासिक स्थल के बारे में जानकारी तक नहीं। वर्ष 2017 में राजस्थान पत्रिका ( Rajasthan Patrika ) ने मुहिम चलाकर इसका जीर्णोद्धार कराया।
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बापू के साथ हुआ सियासी छल
जीर्णोद्धार के बाद जब रामपुरा घाट का स्वरूप निखरकर सामने आया तो गांधी जयंती पर वर्ष 2017 में बापू की याद में बड़ा जलसा आयोजित किया। यूआईटी के तत्कालीन चेयरमैन आरके मेहता ने इस जगह को राजघाट की तरह गांधी स्मृति स्थल और पिकनिक स्पॉट के रूप में विकसित करने की घोषणा कर दी। जिसे यूआईटी ( UIT ) के अफसरों ने गांधी स्मृति घाट विकास योजना नाम दिया और 5 करोड़ रुपए की लागत भी आंक ली। जिसमें गांधी घाट के अलावा छोटी बड़ी समाध, औघड़ की बगीची, श्मशान घाट सहित पांच स्थानों का जीर्णोद्धार के साथ ही यहां बह रही चंबल में बोटिंग की भी व्यवस्था कर पिकनिक स्पॉट विकसित करने का भी प्रस्ताव रखा।
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नहीं आए वो पांच दिन
गांधी स्मृति घाट को लेकर यूआईटी के अफसर इस कदर उत्साहित थे कि अगले ही दिन उन्होंने न सिर्फ पूरी योजना की डीपीआर तैयार कर ली, बल्कि पांच दिन में ही स्वीकृत करा 30 जनवरी 2018 को शिलान्यास कर काम शुरू करने का दावा कर दिया। गांधी स्मृति घाट विकास योजना को लेकर यूआईटी इस कदर उत्साहित थी कि 2 अक्टूबर 2018 तक इसे पर्यटक स्थल के रूप में विकसित कर नए सजे संवरे घाट पर ही गांधी स्मृति मनाने के ऐलान से भी पीछे नहीं हटी, लेकिन 21 महीने बाद हालात यह है कि घाटों के विकास की बात तो छोडि़ए डीपीआर तैयार करने वाले वो पांच दिन भी अभी तक नहीं आए। हालांकि गहलोत सरकार चम्बल ( Chambal River ) के इस इलाके में साबरमती की तर्ज पर 800 करोड़ रुपए का रिवर फ्रंट बनाने की बजट घोषणा कर चुकी है, लेकिन उसमें भी साबरमती के संत राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की स्मृतियों को जगह नहीं मिली है।
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