अब जनता की शिकायत पर पुलिस की लगेगी क्लास, फीडबैक अच्छा नहीं मिला तो सस्पेंड होंगे पुलिसकर्मी
पुलिस और मुखबिरों के बीच पैदा हुई खाई की गवाही देने के लिए कोटा के यह दो मामले ही काफी हैं। इससे पहले भी करीब आधा दर्जन जघन्य अपराधिक मामले अभी भी खुलासे का इंतजार कर रहे हैं। प्रदेश सरकार बदलने के बाद जब संगठित अपराधियों की बाढ़ सी आ गई तो पुलिस सूचनाओं की कमी की वजह तलाशने को मजबूर हुई। नए सिरे से मुखबिरों का नेटवर्क खड़ा करने में वक्त लगता, इसलिए सीधे जनता से मदद मांगी जा रही है।
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इन घटनाओं से समझिए कैसे ध्वस्त हुआ पुलिस का मुखबिर नेटवर्क
1. अवैध कारोबार पर कब्जा जमाने के लिए शराब माफिया ( wine mafia ) ट्रांसपोर्ट नगर में चाकुओं से गोदकर सरेआम हत्या ( murder ) कर देते हैं। नामजद रिपोर्ट दर्ज होने के बावजूद मुखबिरों का भरोसा न जीत पाने के कारण पुलिस पूरे गिरोह के खिलाफ पर्याप्त सबूत नहीं जुटा पाती। उल्टा कार्रवाई के नाम पर दूसरे इलाके के बीट अधिकारी को ही निपटा दिया जाता है।
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2. चार जघन्य हत्याओं को अंजाम देने वाला एक साइको किलर ( serial killer ) गोबरिया बाबड़ी चौराहे से 24 मई को दिनदहाड़े महिला का अपरहण करता है। विज्ञान नगर के निर्माणाधीन मकान में लाकर उसकी हत्या कर देता है और शव को कंधे पर ढोकर करीब 200 मीटर दूर स्कूल परिसर में फेंक जाता है, लेकिन पुलिस के मुखबिर इसकी जानकारी होने के बाद भी पुलिस पर यकीन नहीं कर पाते। नतीजन, 18 दिन तक पूरे सूबे में धक्के खाने के बाद पुलिस उसे दबोच पाती है।