चहेती फर्म से डेयरी अध्यक्ष के रिश्तेदारों की एन्ट्री, फिर होता था खेल… बरसात के दिनों में इन भवनों की तस्वीर कर्मचारियों को और डरा रही है। कहीं दीवार कब धम्म से गिर जाए तो कहीं साहब के सिर पर पट्टियां कब खिसक जाए, पता नहीं। थोड़ी सी बारिश होते ही इन भवनों की छतें टपकने लगती हैं। जरा सा अंधड़ आ जाता है तो कर्मचारियों का दिल अनिष्ट की आशंका से धड़कने लगता है।
झाला हाउस मेंजलदाय विभाग
सूरजपोल मोखापाड़ा क्षेत्र स्थित वर्षों पुराने झालाहाउस में जलदाय विभाग का ऑफिस संचालित है। इस कार्यालय में भूतल और प्रथम तल पर एक के बाद एक कई कमरे बने हैं। एक भी कक्ष एेसा नहीं जो सही सलामत हो। पूर्व में यहां अधीशासी अभियंता के कक्ष के छत का प्लास्टर (Ceiling plaster) गिर चुका। इसके बाद कई कक्षों पर ताले पड़ गए। बावजूद सरकार (Government) इस कार्यालय की सुध नहीं ले रही। यह भवन इतना जर्जर (jarjar) हो चुका है कि कभी भी इसका कोई भाग धराशाही हो सकता है।
सूरजपोल मोखापाड़ा क्षेत्र स्थित वर्षों पुराने झालाहाउस में जलदाय विभाग का ऑफिस संचालित है। इस कार्यालय में भूतल और प्रथम तल पर एक के बाद एक कई कमरे बने हैं। एक भी कक्ष एेसा नहीं जो सही सलामत हो। पूर्व में यहां अधीशासी अभियंता के कक्ष के छत का प्लास्टर (Ceiling plaster) गिर चुका। इसके बाद कई कक्षों पर ताले पड़ गए। बावजूद सरकार (Government) इस कार्यालय की सुध नहीं ले रही। यह भवन इतना जर्जर (jarjar) हो चुका है कि कभी भी इसका कोई भाग धराशाही हो सकता है।
महिला सुरक्षा एवं सलाह केन्द्र
झाला हाउस के एक भाग में महिला सुरक्षा एवं सलाह केन्द्र (Women’s Safety & Advice Center) है। इस केन्द्र के दर व दीवारों के हालात खस्ता है। लंबे चौड़ इस परिसर में कुछ कक्षों में केन्द्र संचालित होता है। जर्जर दीवारों के बीच कर्मचारी अपने आप को सुरक्षित महसूस नहीं करती। केन्द्र की ओर से कई बार भवन की दुर्दशा (durdasha) से अधिकारियों को अवगत करवाया जा चुका है।
यहाँ बारिश लाती है बुरी खबर.अंडरपास में होती है दुर्घटना… बरसात (rain) में तो यहां तलाई बन जाती है, जो जर्जर दीवारों ( walls) और नींव को भीतर ही भीतर खोखला कर रही है। केन्द्र के प्रवेशद्वार से ही इसकी दुर्दशा की कहानी नजर आती है। कीड़े कांटों का भय भी यहां हमेशा रहता है। केन्द्र के सामने रेलिंग गिरने के बाद दोबारा नहीं लगाई गई। जानकारी के अनुसार यहां हर रोज 10 से 15 मामले आते हैं और लोगों के आने-जाने का क्रम बना रहता है।
तबेला हाउस में भूजल विभाग
मोखापाड़ा में तबेला हाउस (Tabela House)में भूजल विभाग का दफ्तर है। यहां भी कर्मचारी सुरक्षित नहीं हैं। कर्मचारियों की सीटों के ठीक उपर से कब छत दरक जाए पता नहीं। सभी कक्षों की दीवारें उखड़ गइ है। इनमें बरसात में पानी रिसता है। इससे कर्मचारियों का बैठना तक मुश्किल हो जाता है। विभाग (Department) की फाइले भी यहां सुरक्षित नहीं। कई पट्टियों को एंगल का सहारा देकर रोका हुआ है।
स्थिति यह है कि एक पट्टी को सहीं करते हैं तो दूसरी जवाब दे जाती है। विभाग की ओर से इसकी कई बार शिकायत की है। अधिकारियों ने मौका मुआयना भी किया, लेकिन समस्या बरकरार है। विभाग के कर्मचारी (employees ) बताते हैं कि कमरों में प्रवेश के पहले दस बार सोचना पड़ता है। यहां कई बार सर्प (Snake) आदि नजर आ चुके हैं।