वर्ष 2009 में एनएचएआई ने कोटा-बारां टोल-वे पर सीमलिया और फतेहपुर में टोल वसूली का ठेका दिया था। ठेके की शर्त के मुताबिक टोल कंपनी को सड़क का रखरखाव और पांच साल बाद सड़क पर 25 एमएम डामर की लेयर बिछानी थी, लेकिन कंपनी का पूरा जोर टोल वसूली पर ही रहा। वर्ष 2014 में सड़क पर डामर बिछाना तो दूर हर दस कदम पर हुए गड्ढे तक नहीं भरे। मरम्मत और निर्माण न होने से कोटा जिले से गुजर रहे करीब 104 किमी लंबे मार्ग पर पूरी सड़क उखड़ गई। 40 किमी के हिस्से में गड्ढे ही गड्ढे हैं।
पांच साल में भी राहत नहीं
वर्ष 2014 में सड़क पर नई लेयर बिछाने का काम न होने के बावजूद एनएचआईए के अधिकारी चार साल चुप्पी साधे रहे। आए दिन दुर्घटनाएं होने के बाद राजस्थान पत्रिका और जनप्रतिनिधियों ने मामला उठाया तो सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय ने कार्रवाई कर टोल वे का ठेका निरस्त कर 12 करोड़ की जमानत राशि जब्त कर ली। हालांकि गड्ढों से अटी पड़ी सड़क से गुजर रहे मुसाफिरों को टोल से राहत देने के बजाय एनएचएआई ने टोल वसूली का जिम्मा खुद ही संभाल लिया। हाथों हाथ वसूली का काम भी रथ कंपनी को दे दिया। इतना ही नहीं पिछले महीने टोल की दरें बढ़ाकर राहगीरों के जले पर नमक छिड़क दिया।
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रोजाना लाखों की वसूली
राष्ट्रीय राजमार्ग के बेहद खराब हिस्से की मरम्मत के लिए स्थानीय अधिकारियों ने विभाग से 40 लाख रुपए का बजट मांगा था, लेकिन विभाग ने पूरा काम नए सिरे से होने की बात कह यह प्रस्ताव खारिज कर दिया। हालांकि सड़क के सर्वे के नाम पर एनएचएआई 26 लाख रुपए खर्च कर चुकी है। वहीं गाडिय़ां और टायर डैमेज करा इस रास्ते से मजबूरन गुजर रहे लोगों से रोजाना करीब 10 लाख रुपए की टोल वसूली अलग से की जा रही है। इसका स्थानीय जनप्रतिनिधियों ने फिर विरोध शुरू कर दिया है।
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नौ महीने में सड़क बनाने का दावा
टोल कंपनी का ठेका निरस्त करने के बाद एनएचएआई ने आनन-फानन में पेचवर्क शुरू किया, लेकिन यह कुछ घंटे तक नहीं टिक सका। एनएचएआई अफसरों ने नौ महीने में नए सिरे से सड़क बनाने का दावा कर 208 करोड़ रुपए का प्रस्ताव मंत्रालय को भेजा। प्रस्ताव मंजूर होने, बजट स्वीकृत होने और टेंडर प्रक्रिया शुरू करने में ही करीब तीन माह लग गए। निविदाएं जारी होने के बाद अब जैसे-तैसे तकनीकी बिड खुल सकी, लेकिन वित्तीय बिड खुलना बाकी है। इसके बाद ही वर्कऑर्डर जारी होगा। पहले चरण में 40 किमी के सबसे खराब हिस्से को 60 करोड़ रुपए की लागत से ठीक किया जाएगा। शेष हिस्से का काम दूसरे चरण में होगा। काम इसी रफ्तार से चला तो एक साल से ज्यादा का वक्त लगना तय है।
टोल वसूली हो बंद
सड़क की मरम्मत में नौ साल से धेला खर्च नहीं किया। निर्माण कार्य की लागत इस बीच टोल वसूली से निकाली ही जा चुकी है। तो फिर एनएचएआई गड्ढ़ों में चलने की एवज में वाहन चालकों से टोल क्यों वसूल रही है। जब तक सड़क पूरी तरह गड्ढा मुक्त न हो जाए टोल वसूली बंद करनी चाहिए।
भरत सिंह, विधायक, सांगोद
टोल कंपनी को टर्मिनेट किया
सड़क की हालत खराब करने के लिए जिम्मेदार टोल कंपनी को टर्मिनेट कर जमानत राशि जब्त कर ली है। नए सिरे से निर्माण कार्य के लिए 208 करोड़ रुपए की निविदाएं जारी की गई थी। बिड खोलने का काम जल्द पूरा कर वर्क ऑर्डर जारी कर दिया जाएगा।
एमके जैन, आरओ, एनएचएआई