एफआईआर के अनुसार मेहता इस मामले में किसान का भुगतान अटकाकर किसान से विक्रय पत्र के आधार पर उससे महेश कुमार मेघानी, निरंजन मेघानी, लोकेश मित्तल व रामगोपाल सुमन द्वारा अपने नाम दर्ज करवाई भूमि के आधार पर यूआईटी से इन्हें विकसित भूमि आवंटित करना चाहता था। इसके लिए मेहता ने अपने रैकेट के साथ योजनाबद्ध तरीके से षड्यंत्र रचते हुए इस मामले को अंजाम देना चाहा।
एसीबी की प्रारंभिक जांच में सामने आया कि कोटा के नांता गांव के खातेदार खेमचंद माली की 3.33 हैक्टेयर भूमि को यूआईटी द्वारा 25 सितम्बर 2013 को मोहनलाल सुखाडिय़ा आवास योजना के लिए दो चरणों में अवाप्त किया। इसमें मूल खातेदार के नाम प्रथम चरण में प्रतिकर के रूप में 40,59,412 रुपए व द्वितीय चरण में 3,63,50,403 रुपए समेत कुल 4,04,09815 की मुआवजा अवार्ड राशि जारी हुई। इस मामले में संतुष्ट नहीं होने पर खातेदार न्यायालय की शरण में गया। इसके चलते मुआवजा राशि का भुगतान नहीं हुआ था।
ऐसे चला खेल नांता की भूमि को महेश कुमार मेघानी, निरंजन मेघानी, लोकेश मित्तल व रामगोपाल सुमन द्वारा 19 मई 2015 को मूल खातेदारों से जरिए विक्रय पत्र के राजस्व रिकॉर्ड में अपना नाम दर्ज करवाया।
इसके बाद 16 अगस्त 2016 को महेश समेत चारों ने यूआईटी में नियम विरुद्ध तरीके से भूमि के बदले भूमि देने का प्रार्थना पत्र पेश किया। यूआईटी पूर्व अध्यक्ष रामकुमार मेहता ने पद का दुरुपयोग कर मामले के नियम विरुद्ध होते हुए भी अपने प्रभाव से इसे न केवल न्यास की बैठक में रखवा दिया। मामले को अनुमोदन के लिए जयपुर नगरीय विकास विभाग भिजवाया।
कोटा यूआईटी भिजवाने के लिए रामकुमार मेहता ने महेश कुमार मेघानी को जयपुर नगरीय विकास विभाग में अधिकारियों में अच्छी पकड़ रखने वाले कंवलजीत सिंह से मिलवाया। इसकी ऐवज में महेश ने कंवलजीत को 15 लाख रुपए व मेहता को 5 लाख रुपए का भुगतान किया।
जयपुर नगरीय विकास विभाग में प्रार्थना पत्र पर कार्रवाई न होने पर महेश मेघानी ने कंवलजीत व मेहता पर दबाव बनाया।
जयपुर नगरीय विकास विभाग के सलाहकार विधि ने 13 मार्च 2018 को प्रार्थना पत्र के अनुसार ही इसे स्वीकृत कर दिया।
15 मार्च 2018 महेश मेघानी ने मोबाइल पर कंवलजीत सिंह से कहा कि ‘आप जहां भी बोलोगे मैं वहीं आपका सामान (रुपए) डिलीवर कर दूंगाÓ।
19 मार्च 2018 को महेश मेघानी ने लोगों से उधार लेकर कंवलजीत सिंह के खातों में दस लाख रुपए जमा करवाए।
4 मई 2018 को एसीबी ने महेश मेघानी, कंवलजीत सिंह राणावत व नगरीय विकास विभाग के लिपिक नरसी मीणा के खिलाफ कार्रवाई शुरू की।
4 जुलाई 2018 को एसीबी ने महेश मेघानी व कंवलजीत सिंह राणावत को भ्रष्टाचार के मामले में गिरफ्तार किया।
आरके मेहता के खिलाफ के सबूत कम होने से उसके सबूत जुटाए गए। जनवरी 2019 में उसके खिलाफ पूरे सबूत एकत्र कर लिए गए। इसके बाद एसीबी के पुलिस महानिदेशक के निर्देशन में 15 फरवरी 2019 को मेहता को गिरफ्तार किया गया। शनिवार को मेहता को पूछताछ के लिए बूंदी एसीबी ने रिमांड पर लिया।