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पुलिस विभाग का सिर दर्द बना बर्खास्त हेड कांस्टेबल को लेकर अब सामने आई ये करतूत

locationकोटाPublished: Jul 22, 2019 10:15:17 pm

Submitted by:

Suraksha Rajora

honey trap case बर्खास्त हेड कांस्टेबल बना रहा है एसपी व डिप्टी को फंसाने का दबाव…नशा मुक्ति केंद्र पर कब्जे का आरोप

honey trap case update accused constable ravindra malik sacking

पुलिस विभाग का सिर दर्द बना बर्खास्त हेड कांस्टेबल को लेकर अब सामने आई ये करतूत

कोटा. दादाबाड़ी थाना क्षेत्र में चलने वाले नशा मुक्ति केन्द्र के संचालक व हनीट्रेप मामले के फरियादी तेजवीर मलिक ने सोमवार को पुलिस सेवा से बर्खास्त हेड कांस्टेबल रविन्द्र मलिक पर अपनी पहुंच का गलत फायदा उठाने और धमकियां देने का गंभीर आरोप लगाया है। तेजवीर मलिक सोमवार को पत्रकारों से रूबरू हुए और नाग-नागिन मंदिर के पास हुए गोलीकांड में आरोपी माने जा रहे बर्खास्त हेड कांस्टेबल रविन्द्र मलिक और उसके भांजे रविंद्र चिकारा पर धमकाने और नशामुक्ति केन्द्र को अवैध तरीके ये हड़पने के आरोप लगाए।
उल्लेखनीय है कि पुलिस विभाग से बर्खास्त होने के बाद से रविन्द्र मलिक फरार चल रहा है और पुलिस उसे अभी तक गिरफ्तार नहीं कर सकी है। कुछ माह पूर्व हुई नशा मुक्ति केन्द्र के संचालक के खिलाफ हनीट्रेप के मामले में भी तेजवीर ने रविन्द्र मलिक पर आरोप लगाए।
तेजवीर मलिक ने कहा कि बर्खास्त पुलिस हेड कांस्टेबल रविन्द्र मलिक शहर एसपी दीपक भार्गव व डीएसपी राजेश मेश्राम को फंसाने के दबाव बना रहा है। रविन्द्र मलिक और उसके भांजे रविन्द्र चिकारा ने नशा मुक्ति केन्द्र पर अवैध कब्जा किया है और अब उसको लेकर समझौते की एवज में एसपी और डीएसपी को फंसाने का दबाव बना रहा है।
इसके लिए परिवार के लोगों से दबाव बनवाने के साथ ही 25 लाख रुपए देने की लालच भी दे रहा है। नशा मुक्ति केंद्र के संचालक तेजवीर मलिक ने सोमवार को मामले का खुलासा करते हुए कहा कि बर्खास्त कांस्टेबल की बात नहीं मानने पर उसके भांजे रविन्द्र चिंकारा ने उसके नशा मुक्ति केंद्र पर कब्जा कर लिया है और आए दिन जान से मारने की धमकी दे रहा है।
दादाबाड़ी स्थित नशा मुक्ति केंद्र के संचालक तेजवीर मालिक ने बताया कि 4 साल पहले कोटा में नशा मुक्ति केंद्र की शुरुआत की थी। जिसके रजिस्ट्रेशन के लिए लोकल आईडी की जरूरत थी। कोटा में पुलिस हेड कांस्टेबल रविंद्र मलिक व उसका भांजा रविंद्र चिकारा उसका परिचित होने से उन्होंने नशा मुक्ति केंद्र का रजिस्ट्रेशन रविन्द्र चिकारा के नाम करवा लिया।
जिसके बाद उन्होंने दादाबाड़ी प्रताप नगर बी-751 में बिल्डिंग किराए पर लेकर मकान मालिक को एक लाख रुपए देकर इकरारनामा अपने नाम करवाया और सुशील चैरिटेबल नाम से संस्था बनाई। जिसमें नशा मुक्ति केंद्र शुरू किया। बिल्डिंग के बेसिक फोन, बिजली का बिल व ऑफिस मोबाइल सब तेजबीर के नाम से रजिस्टर्ड है।
नशा मुक्ति केंद्र का रजिस्ट्रेशन रविंद्र चिकारा के नाम से होने के कारण वह प्रतिमाह 20 हजार रुपए उससे जबरन लेता आया है। वहीं कुछ समय से वह 30 हजार रुपए नकद लेता रहा है। तेजवीर मलिक की लोकल आईडी बनने के बाद जब उन्होंने नशा मुक्ति केंद्र का रजिस्ट्रेशन खुद के नाम से करवाने की बात कही, तो रविन्द्र चिकारा ने उसके नशा मुक्ति केंद्र पर कब्जा जमा लिया और तेजवीर मालिक द्वारा नशा मुक्ति केंद्र के देखरेख के लिए रखे गए हरप्रीत सिंह को रविन्द्र चिकारा ने वहां से बाहर निकाल दिया।
नशा मुक्ति केंद्र पर कब्जा –

तेजवीर मलिक ने बताया कि एक साल पूरी मेहनत के बाद जब नशा मुक्ति केंद्र ठीक से चलने लगा तो पुलिस कांस्टेबल रविंद्र मलिक के भांजे रविंद्र चिकारा ने उसके नशा मुक्ति केंद्र पर कब्जा कर लिया तथा वर्तमान में उसके द्वारा नशा मुक्ति केंद्र संचालित किया जा रहा है।

इस मामले में नियमानुसार कार्रवाई की गई है। मामले में जो भी नियमानुसार कार्रवाई आवश्यक है, वह की जाएगी।
दीपक भार्गव, पुलिस अधीक्षक, कोटा सिटी

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