बैंसला मंगलवार को नैनवां में पत्रकारों से बातचीत कर रहे थे। उन्होंने कहा कि अबके आंदोलन शुरू हुआ तो चि_ी-पत्री से नहीं मानेंगे। रेल की पटरियां और हाई-वे पर बैठे तो आरक्षण लेकर ही उठेंगे। उन्होंने साफ शब्दों में चेताया कि सरकार गुर्जरों को कमजोर नहीं आंके। पूर्व मुख्यमंत्री की गौरवयात्रा को जाखोलास के पास हमने रोक दिया था। कांग्रेस की करोली में महारैली के दौरान पीसीसी सचिव से हमने पूछा था कि आपकों वोट क्यों दें? तब उन्होंने गुर्जरों को पांच फीसदी आरक्षण का वादा किया था। अब यदि कांग्रेस वादे से मुकरी तो आरक्षण की इस मुहिम में 73 गुर्जर पहले खो चुके हैं, अबके 73 सौ खो देंगे तब भी पीछे नहीं हटेंगे।
गुर्जरों की दुखती रग पर हाथ रख दिया
सरकार में बैठे गुर्जर नेताओं के साथ देने के सवाल पर कर्नल ने कहा कि गुर्जरों की दुखती रग पर हाथ रख दिया। उन्होंने स्वीकारा कि हमारे एमएलए, मंत्री शुरू से साथ रहते तो यह दिन देखने को नहीं मिलता।यह विडम्बना रही कि गुर्जर बाहुल्य सीट से टिकट लेकर जीतने के बाद वह समाज के साथ नहीं रहते।
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सवर्णों को दस दिन में मिल गया
बैंसला ने कहा कि सवर्णों को दस दिन में दस प्रतिशत आरक्षण देने के लिए संविधन संशोधन कर लिया गया।तो एसबीसी को पांच फीसदी क्यों नहीं मिल सकता।
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चुनाव नहीं लडऩा
कर्नल बैंसला ने कहा कि इस आंदोलन के पीछे उनका मकसद चुनाव लडऩा नहीं है। यह आंदोलन समाज के लिए छेड़ा है। पहले पांच फीसदी आरक्षण मिले इसी के बाद चुनाव लडऩे की बात होगी।