अतिक्रमियों का दुस्साहस: राणाप्रताप सागर बांध के जल निकासी मार्ग में बन गए मकान
कोटाPublished: Mar 29, 2019 12:58:18 am
अधिकांश नाले विलुप्त से हो गए हैं। बारिश में कई नालों का पानी मकानों में घुस जाने से लोगों को बचाना चुनौती बन जाता है।
अतिक्रमियों का दुस्साहस: राणाप्रताप सागर बांध के जल निकासी मार्ग में बन गए मकान
कोटा/रावतभाटा. भले ही सर्वोच्च न्यायालय के आदेश पर राज्य सरकार ने नगरपालिका, पंचायत, प्रशासन को नालों पर अतिक्रमण रोकने व पूर्व में हुए अतिक्रमण हटाने के निर्देश दे रखे हैं, लेकिन अणु नगरी रावतभाटा में इसका असर दिख ही नहीं रहा। समय पर ठोस कार्रवाई नहीं होने से यहां कई नालों में लोगों ने मकान बना लिए हैं। इससे अधिकांश नाले विलुप्त से हो गए हैं। बारिश में कई नालों का पानी मकानों में घुस जाने से लोगों को बचाना चुनौती बन जाता है।
राणा प्रताप सागर बांध से निकासी क्षेत्र में सरकार की ओर से वार्ड 1, 4, 7, 12 का आंशिक भूभाग डूब क्षेत्र घोषित किया हुआ है। डूब क्षेत्र में भी कई मकान बन गए। सन् 2013 में खोले गए 17 गेटों का पानी वार्ड एक और सात की कई बस्तियों में घुस गया। अब अतिक्रमण का दायरा नहर से काफ ी दूरी तक बढ़ गया। यदि कभी बारिश में बांध के सभी गेट खोलने की स्थिति बनी तो कई मकानों, दुकानों में पानी घुस सकता है।
बैसाखिए का भी बुरा हाल
झालरबावड़ी में बरसाती नाले बैसाखिये का भी बुरा हाल है। इसके बहाव क्षेत्र में भी एक के बाद एक कई मकान बन गए। यहां भी मकानों के दरवाजे बहाव क्षेत्र में रख दिए। बरसात के समय नाले में उफान आने पर पानी हर साल घरों में घुस जाता है। इसी तरह पहले मार्च 2017 में स्टेट हाइवे 9ए की चेतकमार्केट मुख्य सड़क के पास नाले की जमीन पर अतिक्रमण कई बैंड व्यवसाइयों ने अतिक्रमण कर निर्माण कर दुकाने लगा ली।
बहाव क्षेत्र में जमे
वार्ड 25 कुम्हार मोहल्ले से बीएड कॉलेज की तरफ जाने वाले नाले के बहाव क्षेत्र में अतिक्रमियों ने कई पक्के मकान बना लिए। यह सिलसिला जारी है। अतिक्रमण के कारण पानी का रास्ता अवरुद्ध हो चुका है। लोगों ने बताया कि तीन साल पहले इस नाले में आए उफ ान से पानी आस-पास की बस्तियों में घुसने लगा तो पालिका को नाले के साइड में बनी सुरक्षा दीवार तोड़कर पानी निकासी करनी पड़ी।
नक्शा बदल बेचे भूखंड
पालिका ने झालरबावड़ी में मारूति नगर व औंकारेश्वर नगर के नाम से नक्शे अनुमोदित कर डवलपरों को कालोनी काटने की अनुमति दी, लेकिन उन्होंने स्वीकृत नक्शे के बजाय खुद के नक्शे बनाकर नाले, रास्तें में भी भूखंड बेच दिए। इससे नाले में कई मकान बन गए और इनके दरवाजे भी नाले के अंदर खुलते हैं। सबको सामने दिखने के बावजूद प्रशासन के किसी नुमाइन्दे का इस ओर ध्यान नहीं है।