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नाकाबिल पैरों से चढ़ी काबिलियत की चढ़ाई, अब डॉक्टर बन करेगा दिव्यांगों का इलाज

locationकोटाPublished: Jul 17, 2019 09:46:14 pm

Submitted by:

Suraksha Rajora

Success Story कॅरियर सिटी कोटा की बैसाखियों से मेडिकल कॉलेज की सीढ़ियां चढ़ा दिव्यांग साजन

Divyang student saajan to become doctor, studied in kota

नाकाबिल पैरों से चढ़ी काबिलीयत की चढ़ाई, अब डॉक्टर बन करेगा दिव्यांगों का इलाज


कोटा. कॅरियर सिटी कोटा हर वर्ष हजारों स्टूडेंट्स का कॅरियर बना रहा है।
इसमें कई प्रतिभावान ऐसे भी होते हैं जो अभावों से संघर्ष करते हुए आगे बढ़ते
हैं और इनका सहारा कोटा शहर के कोचिंग संस्थान बनते हैं। ऐसा ही उदाहरण एक बार फिर सामने आया है साजन कुमार के रूप में। साजन ने अपनी शारीरिक दुर्बलता को पीछे छोड़ते हुए कड़ी मेहनत से खुद को साबित किया और मेडिकल प्रवेश परीक्षा नीट क्रेक की।
दोनों पैरों से चलने में अक्षम दिव्यांग साजन की बैसाखी एलन कॅरियर
इंस्टीट्यूट बना। एलन द्वारा न केवल साजन को पढ़ाई में मदद की गई, वरन उसे घर से लाने व ले जाने के लिए भी वाहन की व्यवस्था की गई। पढ़ाई के दौरान भी उसे
क्लास तक पहुंचाने व हर कदम पर सहारा दिया गया। नीट NEET काउसंलिंग में साजन को गर्वनमेन्ट मेडिकल कॉलेज बेतिया में एडमिशन मिला है।
डॉक्टर बनने के बाद साजन दिव्यांगों का इलाज व मदद करने की चाह रखता है। साजन का मानना है कि दिव्यांगता एक अभिशाप नहीं, बल्कि चुनौती है। दृढ़ संकल्प एवं मजबूतआत्मविश्वास से इसका सामना करना चाहिए। मेरे स्थिति देखकर कई लोगों ने पापा को कोटा न भेजने की सलाह दी लेकिन उन्होंने मुझमें विश्वास रखा और मैंने उनके और अपने शिक्षकों के विश्वास पर खरा उतरने के लिए हर कोशिश की।

पिता ने जमीन गिरवी रखी जन्म से ही दोनों पैरों से अक्षम साजन के परिवार की आर्थिक स्थिति काफी कमजोर है। पिता लाल बहादुर रॉय जेरोक्स की दुकान संचालित करते हैं। मां पुनीता देवी गृहिणी है। साजन ने बताया कि थोड़ी बहुत जमा पूंजी थी, वो पापा ने मेरे इलाज में लगा दी। बैसाखी की मदद से चल पाता हूं। 10वीं तक की पढ़ाई पापा ने जैसे तैसे प्राइवेट स्कूल में कराई।
10वीं कक्षा 83 एवं 12वीं में 63 प्रतिशत अंक प्राप्त किए। मात्र एक बीघा जमीन थी, जिससे घर में चार-पांच महीने जितना अनाज पैदा हो जाता था। मुझे पढ़ाई करने के लिए कोटा आना था। जिसका खर्चा वहन करना पापा के लिए काफी मुश्किल था लेकिन, मेरी लगन को देखते हुए उन्होने जमीन गिरवी रख पैसा उधार लिया और मुझे पढ़ने के लिए कोटा भेजा।

एलन कोटा में सपोर्ट
सवन ने बताया कि एलन कॅरियर इंस्टीट्यूट में पढ़ाई के दौरान कई बार नर्वस हो
जाता था लेकिन फेकल्टीज ने मुझे मोटिवेट किया। रोजाना पढ़ाई के लिए हॉस्टल से
एलन तक आने-जाने के लिए संस्थान की ओर से वाहन सुविधा उपलब्ध कराई गई थी।
मुझे क्लास तक पहुंचाने के लिए भी एलन स्टाफ तत्पर रहता था। मुझे कभी ऐसा अहसास नहीं हुआ कि मैं घर से हजारों किलोमीटर दूर किसी अन्य शहर में हूं। प्रतिदिन क्लासरूम स्टडी के अलावा 4 से 5 घंटे सेल्फ स्टडी करता था। कोई डाउट रह भी जाता था तो बाद में एक्ट्रा टाइम देकर फेकल्टीज उसे क्लीयर करते थे। यहां कोटा
में एलन कॅरियर इंस्टीट्यूट में प्रवेश लिया। प्रतिभा और पारिवारिक
परिस्थितियां देख शुल्क में छूट दी गई। इसी वर्ष 12वीं कक्षा के साथ नीट क्रेक
किया।

न्यूरोलॉजिस्ट बनने की चाह
सजन का कहना है कि अब एमबीबीएस करने के बाद न्यूरोलॉजी में एमबीबीएस mbbs करना चाहूंगा। शारीरिक रूप से अक्षम होने के कारण कई तरह की दिक्कतों का सामना तो करना पड़ता है लेकिन यदि मजबूत इरादें हो तो मंजिल दूर नहीं होती। एमबीबीएस के बाद न्यूरोलॉजी में पीजी करना चाहता हूं।

दिव्यांग साजन का हौसला और प्रयास है, जिससे वह मेडिकल कॉलेज medical college तक पहुंचा है। ऐसे स्टूडेंट्स अन्य के लिए भी प्रेरणा होते हैं। एलन ऐसे स्टूडेंट्स की मदद कर गौरवान्वित महसूस करता है। – नवीन माहेश्वरी, निदेशक, एलन कॅरियर इंस्टीट्यूट
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