scriptबाबू और अकाउंटेंट में 3 फीसदी कमीशन को लेकर झगड़ा हुआ तो खुल गई पोल, दोगुने भाव में खरीद कर जनता के पैसे को लूट रहे थे… | Big corruption found in purchase of daily needs in MBS hospital | Patrika News

बाबू और अकाउंटेंट में 3 फीसदी कमीशन को लेकर झगड़ा हुआ तो खुल गई पोल, दोगुने भाव में खरीद कर जनता के पैसे को लूट रहे थे…

locationकोटाPublished: Apr 14, 2020 12:18:38 pm

Submitted by:

Rajesh Tripathi

कमीशन को लेकर बवाल,एमबीएस अस्पताल के हालात, सप्लायर्स ने अस्पताल अधीक्षक को की शिकायत
 

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बाबू और अकाउंटेंट में 3 फीसदी कमीशन को लेकर झगड़ा हुआ तो खुल गई पोल, दोगुने भाव में खरीद कर जनता के पैसे को लूट रहे थे…

कोटा. एमबीएस अस्पताल में स्पॉरीसाइडल सोल्यूशन में घोटाले का मामला अभी शांत भी नहीं हुआ था। अब एमआरपी से ज्यादा दरों पर फु टकर आइटमों की खरीद का मामला सामने आ गया।

अस्पताल में लोकल टेंडर में अधिक दर पर साबुन और एंटी सेप्टिक लिक्विड शॉप व अन्य सामानों के लिए रेट कॉन्टे्रक्ट तक कर डाला। हाल ही में तीन प्रतिशत कमीशन को लेकर बाबू व एकाउंटेंट में झगड़ा हो गया। एकाउंटेंट ने सप्लायर फ र्म का भुगतान रोक दिया। ठेकेदार ने अस्पताल अधीक्षक को एकाउंटेंट पर 20 प्रतिशत कमीशन लेने का आरोप लगाते हुए लिखित शिकायत की। शिकायत के बाद अधीक्षक ने जांच की बात कही।

यूं समझे मामले को
अस्पताल में लोकल टेंडर के तहत जनरल आइटम की सप्लाई के लिए साल 2017 में ऑनलाइन निविदा जारी की थी। जिमसें मिलीभगत करके कई फु टकर आइटमों की रेट बाजार दर से अधिक स्वीकृत कर दी गई। मसलन लिक्विड शॉप विद डिस्पेंसर प्रति 200 एमएल की दर 135 रुपए अनुमोदित की। जबकि बाजार में इस लिक्विड शॉप का खुदरा मूल्य 85 से 100 रुपए है। अस्पताल प्रशासन ने रेट कॉन्ट्रेक्ट के मुताबिक सप्लायर फ र्म को जनवरी में वर्क ऑर्डर जारी कर दिए। फ र्म ने सेंट्रल लैब (माइक्रोबायलॉजी) व ब्लड बैंक में माल भी सप्लाई कर दिया। बिल में जीएसटी सहित 159 रुपए लगाकर पेश कर दिया।
कमीशन के खेल ने खोली पोल

एल्युमिनियम फ ॉयल पेपर, ग्लास मेकिंग पेंसिल, माइक्रोपोरे टेप ऐसे कई सामान ऐसे है, जिनका मेक तक आरसी में लिखा हुआ नहीं है। इनको भी अधिक दर भी आरसी में शामिल किया हुआ है। इधर, सप्लायर फ र्म ने भुगतान रुकने पर अधीक्षक को लिखित में शिकायत दी है, जिसमे दो कर्मचारियों पर 20 प्रतिशत कमीशन मांगने का आरोप लगाया है।

इनका कहनालिक्विड शॉप अधिक दर पर सप्लाई की बात है तो इसका प्रकरण मेरे सामने आया है। इसकी दरों को लेकर सप्लायर से स्पष्टीकरण मांगा तो संबंधित फ र्म जवाब नहीं दे पाई। इस कारण भुगतान पर रोक लगाई है। सप्लायर ने भी एक पत्र दिया है। जिसमें जानबूझकर भुगतान रोकने की शिकायत की है। फि लहाल इस बारे में ज्यादा कुछ नहीं कह सकता। आरसी दुबारा देखने के बाद ही टिप्पणी कर पाऊंगा।

डॉ. नवीन सक्सेना, अधीक्षक, एमबीएस अस्पताल

ऑनलाइन दर में लिक्विड शॉप की एमआरपी कम है। हैंडवाश 185 एमएल की रेट 75 रुपए है। वहीं 215 एमएल की दर 85 रुपए। ये प्रोडक्ट 200 एमएल में नही आता। इसी तरह दूसरे हैंडवॉश की 200 एमएल की दर 99 रुपए है। नियमानुसार एमआरपी से ज्यादा चार्ज नहीं कर सकते। आरसी में इनकी दर ज्यादा अनुमोदित की गई। वही क्या खरीदा गया ये बिल में लिखा नहीं। बिल पर साइन नहीं किए तो आरोप लगा दिया।
कमलेश चौहान, सहायक लेखाधिकारी

टेंडर हुआ उसमें केवल ब्रांड का नाम लिखा था। हम लम्बे समय से इस ब्रांड के साथ अतिरिक्त रिफ ल पैक भी सप्लाई कर रहे हैं। बिल भुगतान के एवज में दो कर्मचारियों ने 20 प्रतिशत कमीशन की मांग की। मैंने आरसी के मुताबिक ही माल सप्लाई किया है।
अरविंद मित्तल, सप्लायर
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