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काम भी नहीं करो, सुविधा भी भोगो..यह संभव नहीं

locationकोटाPublished: Dec 29, 2018 04:46:58 pm

Submitted by:

Rajesh Tripathi

ऐसा नहीं है कि कर्मचारियों के प्रति सख्त रवैया केवल भाजपा की सरकारों का रहा हो।

kota news

काम भी नहीं करो, सुविधा भी भोगो..यह संभव नहीं

कोटा. पिछली सरकार के समय हुई हड़तालों और उसके बाद कर्मचारियों ने जिस तरह से भाजपा से मुंह फेरा, इस प्रकरण में राज्य में कांग्रेस की वापसी में बड़ा योगदान निभाया है। हालांकि इस बात से भी कतई इनकार नहीं किया जा सकता है कि कई बार खुद मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की लुटिया डूबाने में ब्युरोक्रेसी का ही हाथ रहा है। वे कई बार इसका जिक्र भी कर चुके हैं। बतौर मुख्यमंत्री अपने पहले कार्यकाल के दौरान गहलोत ने यह कहा था कि ‘ हर गलती कीमत मांगती हैÓ। यह वाक्य उन्होनें प्रशासनिक अधिकारियों की बैठक में कहा था। इतना ही नहीं इसके बाद इस ध्येय वाक्य को सरकारी भवनों में पोस्टर के तौर पर चिपकाया भी गया था। लेकिन इसका कुछ ज्यादा असर नहीं पड़ा। गहलोत को अपनी सत्ता गवांनी ही पड़ी।
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तब नहीं पिघले गहलोत…
ऐसा नहीं है कि कर्मचारियों के प्रति सख्त रवैया केवल भाजपा की सरकारों का रहा हो। गहलोत इस मामले पर वसुंधरा पर 20 दिखाई पड़ते है। इसकी पुष्टि उनकी एक टिप्पणी से भी हो जाती है। ‘ जो कर्मचारी ईमानदार नहीं है , पूरी निष्ठा से काम नहीं करता। उसके प्रति मेरी सहानूभुति शुन्य है। जनता की कमाई से प्राप्त कर को अकर्मण्यों को लुटाने के लिए नहीं है। अपने पहले कार्यकाल में उन्होने बोनस व छुट्टी के बदले नकद जैसी सुविधाओं को बंद कर दिया था। हालांकि इसके परिणाम उन्होंने भुगते लेकिन 2 महीने की लम्बी हड़ताल के बाद भी वे पिघले नहीं। वे इस बात के पक्के हैं कि काम भी नहीं करो, सुविधा भी भोगो..यह संभव नहीं ।
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