scriptआरटीयू में लीपापोती की मेहनत गई बेकार, राजभवन ने बिठाई जांच | Accusations of financial irregularities of giving jobs in RTU Kota | Patrika News

आरटीयू में लीपापोती की मेहनत गई बेकार, राजभवन ने बिठाई जांच

locationकोटाPublished: Feb 05, 2019 01:41:45 am

Submitted by:

shailendra tiwari

फर्जी दस्तावेज से नौकरियां देने और करोड़ों की वित्तीय अनियमितताओं के आरोप, संभागीय आयुक्त ने सरकार से की थी उच्च स्तरीय जांच कराने की सिफारिश

Rajasthan Technical University

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कोटा. सालों से चल रहे फर्जीवाड़े और वित्तीय घपलों पर पर्दा डालने की राजस्थान तकनीकी विश्वविद्यालय (आरटीयू) प्रशासन की कोशिशों पर पानी फिर गया। दर्जनभर गंभीर मामलों की जांच के लिए संभागीय आयुक्त ने दो सदस्यीय जांच समिति गठित की थी। इसे विवि के अफसरों ने ऑटोनॉमस बॉडी होने की धौंस जमाकर बैरंग लौटा दिया था। आरोपों की गंभीरता देखते हुए उन्होंने सरकार से उच्च स्तरीय जांच कराने की सिफारिश कर दी। जिस पर राजभवन ने जांच के आदेश जारी कर दिए।
संभागीय आयुक्त (डीसी) कार्यालय को आरटीयू में भ्रष्टाचारों की कई गंभीर शिकायतें मिली थीं। इसकी जांच के लिए तत्कालीन डीसी केसी वर्मा ने 3 सितम्बर 2018 को अतिरिक्त संभागीय आयुक्त प्रियंका गोस्वामी और मुख्य लेखाधिकारी टीपी मीणा की सदस्यता में जांच समिति गठित कर दी। जांच समिति ने शिकायतों से जुड़े दस्तावेज की प्रति मांगने के लिए एक दल आरटीयू भेजा, लेकिन विवि प्रशासन ने रिकॉर्ड देना तो दूर संबंधित मामलों की कोई जानकारी देने तक से साफ इनकार कर जांच दल को बैरंग लौटा दिया।
टरकानी चाही जांच

इसके साथ ही पूर्व वित्त अधिकारी और बोम सदस्यों पर कॉलेज डवलपमेंट फीस में 70 करोड़ से ज्यादा की गड़बडिय़ों के साथ-साथ आधा दर्जन अन्य वित्तीय अनियमित्ताओं के आरोपों की शिकायत भी संभागीय आयुक्त को मिली थी। मामले की जांच नगर निगम के वित्तीय सलाहकार को सौंप दी थी, लेकिन उन्हें भी विवि प्रशासन ने रिकॉर्ड देने से मना कर दिया। इसके बाद वित्तीय सलाहकार ने डीसी ऑफिस को लिखकर दे दिया कि विवि प्रशासन जांच से बचने की कोशिश कर रहा है। इसलिए संबंधित दस्तावेज नहीं दिए जा रहे और जांच शुरू नहीं हो पा रही।
उच्च स्तरीय जांच की सिफारिश

विवि प्रशासन ने जांच में तो सहयोग किया ही नहीं, ऊपर से डीसी को ऑटोनॉमस बॉडी की धौंस भी दे डाली। मामले की गंभीरता को देखते हुए तत्कालीन डीसी केसी वर्मा ने 6 नवम्बर 2018 को अतरिक्त मुख्य सचिव उच्च एवं तकनीकी शिक्षा को पत्र लिखकर न सिर्फ पूरे घटनाक्रम की जानकारी दी, बल्कि किसी स्वतंत्र एजेंसी से उच्च स्तरीय जांच कराने की सिफारिश भी कर दी। आरोपों की गंभीरता को देखते हुए राजभवन भी हरकत में आ गया और 7 जनवरी को जांच के निर्देश जारी कर दिए। इसके बाद राज्यपाल सचिवालय के विशेषाधिकारी उच्च शिक्षा ने विवि प्रशासन से आरोपों से जुड़े सभी दस्तावेज तलब कर लिए। इसके बाद रजिस्ट्रार डॉ. आभा जैन ने संबंधित विभागों को पत्र लिखकर दस्तावेज मय टिप्पणी मुहैया कराने के निर्देश जारी कर दिए हैं।
ये हैं आरोप
– गलत जाति प्रमाण पत्र से सहायक कुलसचिव और शिक्षकों को नौकरी दी।
– गैर सरकारी व्यक्ति को विवि परिसर में आवंटित किया आवास।

– प्रतिनियुक्ति पर आए अफसरों को बढ़ी हुई ग्रेड पे दी।
– वित्त विभाग की अनुमति के बिना शिक्षकों की वेतन वृद्धि की गई।
– खरीद-फरोख्त में गड़बडिय़ां और वसूला गया पूरा फंड खाते में जमा न कराना।

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