वहीं एक आरोपी के निधन होने की बात कही जा रही है। जानकारी के अनुसार जिला शिक्षा अधिकारी कार्यालय में वर्ष 1994-95 में औपचारिकेत्तर शिक्षा योजना (Non-Formal Education Scheme) में पढऩे वाले बच्चों के लिए 5 लाख 59 हजार 380 रुपए की सामग्री खरीदी गई थी। जिसमें भारी गड़बड़ी मिली थी।
मामले में पुलिस ने धारा 409, 420 के तहत अपराध पंजीबद्ध कर जांच कर सामग्री को जब्त कर जिला शिक्षा कार्यालय बैकुंठपुर के एक कमरे में सील कर दिया है। जो कि करीब 28 साल से सीलबंद है। जिससे डीईओ कार्यालय में आने वाले हर कोई आश्चर्यजनक तरीके से सीलबंद कमरे को देखने हैं। वहीं कुछ लोग भूतहा (भूत का कमरा) कहने लग गए हैं। शिक्षण सामग्री खरीदी के मामले में शिक्षा विभाग के सहायक संचालक और लिपिक को आरोपी बनाया है। मामला बैकुंठपुर न्यायालय में विचाराधीन है।
जिला शिक्षा कार्यालय एक हॉल और सात कमरे में संचालित है। वहीं एक कमरे में भ्रष्टाचार की सामग्री बंद है। जिससे शिक्षा विभाग सीलबंद कमरे को उपयोग नहीं कर पा रहा है। हालांकि कमरे कम होने के कारण यहां कर्मचारियों को थोड़ी परेशानी हो रही है। डीईओ कार्यालय अविभाजित सरगुजा के जमाने से बना हुआ है और शीट लगी है।
जानकारी के अनुसार शिक्षा विभाग में सामग्री खरीदी घोटाले में सीआईडी ने भी अपराध पंजीबद्ध कर जांच की थी। सीआईडी ने मामले की जांच कर बैकुंठपुर थाना को 173(8) के तहत मामला दर्ज कर अतिरिक्त जांच करने निर्देश दिए थे।
कोरिया के जिला शिक्षा अधिकारी जितेंद्र गुप्ता ने कहा कि मामला बहुत पुराना है। आचार संहिता के बाद फाइल मंगलवार अध्ययन कर सील खुलवाने को लेकर परामर्श लिया जाएगा।