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No Entry जोन में भीमकाय वाहनें भर रहे फर्राटे, ट्रेफिक पुलिस अनजान

locationकोरबाPublished: Jan 16, 2019 06:01:25 pm

Submitted by:

Shiv Singh

नैला रेलवे फाटक से शहर के बीच है नो एंट्री जोन

नैला रेलवे फाटक से शहर के बीच है नो एंट्री जोन

नैला रेलवे फाटक से शहर के बीच है नो एंट्री जोन

जांजगीर-चांपा. नो एंट्री के निर्धारित समय तक नैला रेलवे फाटक से शहर के भीतर भारी वाहनों का प्रवेश प्रतिबंधित है। क्योंकि कुछ निर्धारित समय के लिए यहां नो एंट्री जोन घोषित किया गया है। दोपहर १२ से तीन बजे तक एवं रात १० बजे के बाद भारी वाहनों को छूट दी गई है, लेकिन यह नियम चंद दिनों तक चला और अब सारे नियम कानून ताक में रखकर चौबीसों घंटे भारी वाहनें इस रूट में फर्राटे मार रहे हैं। वहीं ट्रैफिक पुलिस की यहां ड्यूटी होने के बावजूद आंख मूंदकर बैठी रहती है।
जबकि इस जोन में पांच साल में तीन लोगों की जान जा चुकी है। इतनी मौतों के बाद भी पुलिस अलर्ट नहीं है। वहीं शहर के व्यवसायी भी ऐसे वक्त में आंख मूंदकर बैठ जाते हैं। उनकी आंखें तब खुलती है जब कोई बड़ा हादसा होता है।

नैला रेलवे फाटक से नेताजी चौक तक शहर के लोगों के आवागमन की सुविधाओं के लिए पुलिस ने नो एंट्री जोन घोषित कर दिया है। दोपहर १२ से ३ बजे एवं रात १० बजे के बाद ही भारी वाहनों के आवागमन में छूट दी गई है। दरअसल इस रूट में रेलवे स्टेशन के अलावा जिला मुख्यालय का मुख्य शहर स्थापित है। जहां लोगों की भीड़ चौबीसों घंटे लगी रहती है। दिलचस्प बात यह है कि इस रूट में चौबीसों घंटे भारी वाहनें फर्राटे मार रहे हैं। खासकर रेलवे के कोल साइडिंग होने से भीमकाय ट्रेलर हर मिनट में यहां से गुजरता है। जो लोगों के जान के दुश्मन बना रहता है।
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पत्रिका ने इसकी पड़ताल की। जिसमें शाम पांच बजे कोयले से लदे ट्रेलर हर मिनट में रेलवे फाटक से शहर की ओर अपनी खेप गुजार रहे थे। जबकि रेलवे फाटक के पहले पुलिस ने भारी भरकम बोर्ड लगायी है जिसमें साफ अक्षरों में नो एंट्री का टाइम टेबल लिखा है। इतना ही नहीं बाकायदा यहां ट्रैफिक का जवान भी बिठाया जाता है, लेकिन पुलिस के नाक के नीचे इस तरह का कोयले का काला कारोबार लोगों के समझ से परे है।


कोलवाशरी की ट्रेलर के सामने आंखें बंद
नैला जांजगीर स्टेशन के आउटर में महावीर कोलवॉशरी का रेलवे साइडिंग है। जहां दर्जनों खेप कोयला लोड अनलोड होता है। यह कोयला बलौदा क्षेत्र के कोलवॉशरी में खपता है। इसके लिए चौबीसो घंटे भीमकाय वाहनों को इस्तेमाल किया जाता है। यही भीमकाय वाहनों के चालक नियम कानून को ठेंगा दिखाते हुए नो एंट्री जोन में प्रवेशकर चौबीसों घंटे आवागमन करते हैं। बताया जाता है कि इसके लिए ट्रैफिक पुलिस से उनकी तगड़ी सेटिंग है। कोलवॉशरी का मैनेजर यहां मौजूद रहता है जिसके इशारे में नो एंट्री टाइम में भी भारी वाहनों को गुजार कर कोयले से लदे ट्रेलरों को पार कराया जाता है।


कई बार हो चुका चक्काजाम
तीन साल पहले नैला के एक व्यवसायी की ऐसे ही भीमकाय वाहन की चपेट में आकर मौत हो गई थी। यहां के सैकड़ो व्यवसायियों ने बीच शहर में चक्काजाम कर दिया था। इस दौरान बीच शहर में नो एंट्री जोन घोषित करने के लिए कड़े नियम बनाए गए थे। नियम बनने के बाद कुछ दिनों तक नियमों का कड़ाई से पालन हो रहा था। इसके बाद फिर धीरे धीरे नियम टूट गया और फिर से निर्धारित समय के बीच ही भारी वाहन फर्राटे मारते रहते हैं।


खराब सड़क उपर से भारी वाहन
सबसे अधिक खराब हालात स्टेशन से लेकर रेलवे फाटक तक रहता है। क्योंकि इस बीच सड़क की हालत भी खस्ता है। वहीं रेलवे फाटक बंद होने के बाद भीड़ बढ़ जाती है और यह भीड़ घुटने भर कीचड़ के बीच खड़ी रहती है। बदतर हालात तब और होते हैं जब इसी दौरान भीमकाय वाहन प्रवेश करते हैं। ऐसे में दुर्घटना होना स्वाभाविक हो जाता है।


-नो एंट्री के समय भारी वाहनों का आवागमन प्रतिबंधित है। यदि ऐसा है तो जानकारी लेकर मौके पर मौजूद जवान को अलर्ट किया जाएगा और भारी वाहनों के प्रवेश को बंद कराया जाएगा।
-शिवचरण सिंह परिहार, डीएसपी यातायात
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