इस संबंध में अभियोजन पक्ष ने बताया कि गांधी चौक रायपुर में रहने वाले जीवन लाल चौधरी को चीफ ज्यूडिशियल मजिस्ट्रेट की कोर्ट ने दो साल साल साधारण कारावास की सजा सुनाते हुए 10 हजार रुपए का अर्थदंड लगाया है। ज्ञानेशचन्द्र सिडिकेट बैंक की कोरबा शाखा में प्रबंधक के तौर पर कार्यरत थे। जीवन लाल उनके अधीन भृत्य था। बैंक से जीवन लाल ने दो लाख रुपए कर्ज लिया था।
Read more : प्रदेश राजस्व मंत्री ने किया मोदी पर हमला, कहा वादा था दो करोड़ रोजगार का लेकिन कोरबा में हजारों को बेरोजगार कर दिया इसके बाद मई 2014 में त्याग पत्र दे दिया था। बैंक लोन लौटाने के लिए उसने प्रबंधन से कर्ज लिया था। इसे लौटाने का वादा किया था। बाद में जीवन लाल की नीयत बदल गई। उसने एक लाख 74 हजार रुपए का चेक ज्ञानेश चन्द्र को दिया था। खाते में राशि नहीं होने से चेक बाउंस हो गया। जीवन लाल ने पैसे नहीं लौटाए। मामला कोर्ट पहुंचा। इसकी सुनवाई सीजेएम कोर्ट में चल रही थी। न्यायाधीश ने जीवन लाल को चेक बाउंस का दोषी ठहराते हुए सजा सुनाई है।