घटना शुक्रवार सुबह 10 बजे की बताई जा रही है। खदान के भीतर 100 टन कोयला परिवहन करने वाले डम्पर का संचालन कंपनी कर रही है। शुक्रवार को ऑपरेटर ओम प्रकाश डम्पर चला रहा था। वह अपने साथ दो कोल लिफ्टर को डम्पर में बैठाकर कुसमुंडा खदान के भीतर कोयले की फेस पर जा रहा था। इस बीच खदान के भीतर रास्ते में डम्पर से आग और धूंआ की लपटे उठने लगी। इसके पहले कि ऑपरेटर और इस पर सवार कोल लिफ्टर कुछ समझ पाते आग की लपटें केबिन तक पहुंच गई। तीनों डर गए और जान बचाने की कोशिश में एक-एक कर डम्पर से नीचे कूद गए। डम्पर अनियंत्रित होकर खदान के भीतर सड़क से नीचे उतर कर पलट गई। आग की लपटों ने डम्पर को कुछ ही मिनटों में घेर लिया। घटना की सूचना खदान के भीतर जा रहे अन्य गाड़ियों के चालक ने अपने अधिकारियों को दिया। टैंकर के पानी से आग को बुझाया गया, तब तक गाड़ी काफी नुकसान हो चुका था।
दुर्घटना के शिकार ऑपरेटर और दो कोल लिफ्टरों को खदान से बाहर निकालकर कंपनी के कुसमुंडा स्थित विभगीय अस्पताल पहुंचाया गया। वहां से तीनों को कोरबा के एक निजी अस्पताल में भर्ती किया गया है। कोल लिफ्टरों की पहचान अजय प्रसाद और अभिषेक से की गई है, जो कुसमुंडा थाना क्षेत्र के रहने वाले हैं। अजय प्रसाद कांग्रेस का स्थानीय पार्षद भी है। ऑपरेटर ओम प्रकाश की ड्यूटी खदान के भीतर फेस से कोयला लेकर रोड सेल के स्टॉक तक पहुंचाने की थी। चर्चा है कि कोल लिफ्टर ऑपरेटर के साथ डम्पर में बैठाकर खदान के भीतर जा रहा था। इस बीच हादसा हो गया। घटना में अजय के पैर की हड्डी टूट गई है। जबकि अभिषेक के सीने में गंभीर चोटें आई है। ऑपरेटर ओम प्रकाश आग की चपेट में आकर आंशिक तौर पर जल गया है।
ऑपरेटर के बयान से स्पष्ट होगा पूरा मामला कोल लिफ्टरों को खदान से जैसा कोयला आता है, वैसा ही स्टॉक से उठाना होता है। इसे आरओएम (रर्निंग ऑफ माइन) कहते हैं। लेकिन कोल लिफ्टर आरओएम उठाने के बजाए खदान से अच्छा कोयला अपने स्टॉक तक मंगाते हैं। चर्चा है कि डम्पर ऑपरेटर ओम प्रकाश के साथ गाड़ी में बैठकर दोनों कोल लिफ्टर खदान के भीतर कोयले की अच्छी फेस को देखने जा रहे थे ताकि उसे रोड सेल के स्टॉक में गिरवाकर वहां से उठाव किया जा सके। लेकिन इसकी पुष्टि नहीं हुई है। ऑपरेटर के बयान के बाद मामला स्पष्ट होगा।