योजना थी कि पेयजल संकट (Drinking water crisis) से जूझ रहे गांवों में पानी पहुंचाने के लिए हसदेव बरॉज से पाइप लाइन बिछाई जाएगी। नदी के पानी को फिल्टर कर एक बड़ी टंकी में एकत्र किया जाएगा फिर प्रभावित गांव में छोटी छोटी टंकी बनाकर नल के जरिए घरों तक पानी की आपूर्ति होगी। इसके पहले की योजना मूर्त रूप लेती अफसरों ने पेंंच फंसा दिया। हसदेव बरॉज से पानी लेने की योजना को बदल दिया। सीएसईबी के रिटर्न केनाल से पानी लेने का फैसला किया। लेकिन इस पर भी नगर पंचायत के अफसरों ने गंभीरता से अमल नहीं किया। (Disturbances in the use of CSR funds )
नाले में मिली महिला की लाश, क्षेत्र में फैली सनसनी, दोनों हाथ में गोदना, एक हाथ में आरएस तो दूसरे हाथ में लिखा है ऊॅ ट्यूब बेल खोदे और अन्य कार्यों में खर्च की राशि
लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग के अफसरों ने एनटीपीसी की सीएसआर मद से प्राप्त राशि में से एक करोड़ 80 लाख रुपए अपने विभागीय मद में डाल दिया। इस रुपए में 38 लाख रुपए ट्यूब वेल आदि की खोदाई पर खर्च कर दिया। सरकार से भी खर्च की राशि की मांग नहीं की। अब मामला उजागर हुआ है। कलेक्टर लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग के कार्यपालन अभियंता को जांच कर रिपोर्ट प्रस्तुत करने के लिए कहा है।
चार किस्तों मेें मिली राशि
एनटीपीसी ने प्रभावित गांवों में पानी की आपूर्ति के लिए वर्ष 2016 से अभी तक चार किस्तों मेें चार करोड़ 37 लाख रुपए प्रदान किए हैंं।
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