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जंगलमहल से चार माओवादी गिरफ्तार

locationकोलकाताPublished: Nov 14, 2018 10:04:38 pm

– पश्चिम मिदनापुर जिले के ग्वालतोड़ इलाके से पुलिस ने दबोचा- नक्सल संगठन के पोस्टर- पर्चे बरामद,
– पुलिस चिंतित, लोगों में दहशत

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जंगलमहल से चार माओवादी गिरफ्तार

कोलकाता

पश्चिम मिदनापुर जिले के ग्वालतोड़ इलाके से पुलिस ने मंगलवार रात चार संदिग्ध माओवादियों को गिरफ्तार किया। उनके पास से भारी मात्रा में माओवादी संगठन के पोस्टर एवं पर्चे बरामद किए गए हैं। पकड़े गए माओवादियों की पहचान सव्यसाची गोस्वामी (52), संजीव मजूमदार उर्फ असीम, अर्कश्री गोस्वामी उर्फ विजय (23) एवं टीपू सुल्तान उर्फ सपन (23) के रूप में हुई है। सव्यसाची उत्तर २४ परगना जिले के सोदपुर के एच.बी. टाउन इलाके निवासी है। संजीव आगरपाड़ा के कुसुमपल्ली के आर.के.देवपथ रोड, अर्कद्वीप दक्षिण कोलकाता के पर्णश्री इलाके का और टिपू सुल्तान बीरभूम जिले के शांति निकेतन थाना क्षेत्र के पश्चिम पल्ली इलाके का रहने वाला बताया जा रहा। विश्वसनीय सूत्रों से मिली सूचना के आधार पर छापेमारी कर पुलिस ने माकली इलाके से उक्त चारों को गिरफ्तार किया। ये एक मैदान में बैठक कर रहे थे। इन पर भारतीय दंड विधान की धारा- 149/129/129ए/129बी/120 बी के तहत मामला दर्ज किया गया है। सभी से पूछताछ की जा रही है। पता लगाने का प्रयास किया जा रहा है कि ये किस उ²ेश्य से ग्लावतोड़ इलाके में माओवादी पोस्टर और पर्चे साथ लेकर गए थे। प्राथमिक जांच के आधार पर पुलिस का अनुमान है कि ये माओवादी संगठन के विस्तार का काम कर रहे थे। वर्ष 2011 में जिले बूढ़ीसोल जंगल में केन्द्रीय सुरक्षा बलों के साथ मुठभेड़ में कुख्यात माओवादी नेता कोटेश्वर राव उर्फ किशनजी के ढेर होने के बाद से जंगलमहल के नाम से मशहूर पश्चिम बंगाल के पश्चिम मिदनापुर, झाड़ग्राम, पुरुलिया और बांकुड़ा जिले में माओवादियों का संगठन प्राय: ध्वस्त हो गया था। कई माओवादी मुठभेड में मारे गए थे। कुछ राज्य छोड़ कर भाग गए थे। बड़ी संख्या में माओवादियों ने समर्पण कर दिया था। तब से मुख्यमंत्री ममता बनर्जी लगातार राज्य से माओवाद समस्या के खात्मे का दावा कर रही हैं। ग्वालतोड़ से चार माओवादियों की गिरफ्तारी ने ममता बनर्जी के दावे को झुठला दिया है। मामले पर जिला पुलिस के अधिकारी चुप हैं। इधर जिले से चार माओवादियों की गिरफ्तारी से लोगों में दहशत फैल गई है। लोगों के जेहन में 2009-2010 साल की हिंसा की यादें ताजा हो गई हैं।

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