scriptअदालत का दरवाजा खटखटाएंगे मिठाई व्यवसायी | Sweets businessman will knock the court door | Patrika News

अदालत का दरवाजा खटखटाएंगे मिठाई व्यवसायी

locationकोलकाताPublished: Aug 27, 2017 11:36:00 pm

 सेवा व वस्तु कर (जीएसटी) के खिलाफ त्रिदिवसीय भूख हड़ताल कर रहे मिठाई व्यवसाइयों ने अदालत का दरवाजा खटखटाने का निर्णय लिया है

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कोलकाता . सेवा व वस्तु कर (जीएसटी) के खिलाफ त्रिदिवसीय भूख हड़ताल कर रहे मिठाई व्यवसाइयों ने अदालत का दरवाजा खटखटाने का निर्णय लिया है। वे जीएसटी को मिठाई व्यवसायियों का अहितकर बताते हुए अदालत से मदद की गुहार लगाएंगे।


मिठाई व्यवसायियों का तीन दिवसीय भूख हड़ताल रविवार को खत्म हो गया। पश्चिम बंगाल मिष्ठान व्यवसायी समिति के महासचिव रॉबिनपाल ने बताया कि मिठाई पर अब तक कर नहीं लगता था। इस छोटे स्तर के व्यवसायी व कम पढ़े लिखे लोग जुड़े हैं। ये लोग कर के दायरे में नहीं आते हैं।


इन पर कर लगाकर व्यवसायियों के भविष्य को खराब कर दिया गया है। टैक्स लगाने से 10 लाख कारीगर प्रत्यक्ष तौर पर नुकसान भर रहे हैं। केंद्रीय सरकार इस विषय पर किसी से सलाह मशविरा करने के मूड में नहीं है। लेकिन राज्य सरकार व्यवसायियों के साथ है।


तृणमूल ने आश्वासन दिया है कि वे उनकी बात जीएसटी काउंसिल की बैठक में रखेंगे। इसके अलावा व्यवसायियों ने भी अपने आंदोलन को जारी रखने का मन बनाया है। व्यवसाइयों का कहना है कि केंद्र सरकार उनकी मांगों नहीं मानी तो वे अदालत में मामला दर्ज करेंगे। उल्लेखनीय है कि देश भर में चाकलेट वाले संदेश पर 28 फीसदी, रसगुल्ला, संदेश व मिष्ठी दही पर 12 फीसदी टैक्स लगया गया है।


हड़ताल करने वाले चिकित्सकों के खिलाफ कार्रवाई की मांग
 महानगर में निजी व सरकारी अस्पतालों में हड़ताल करने वाले चिकित्सकों के खिलाफ कार्रवाई की मांग की गई है। पश्चिम बंगाल मेडिकल काउंसिल को पुपिल फार बेटर ट्रीटमेंट (पीबीटी) की ओर से पत्र दिया गया। महानगर में पिछले दिनों रोगी के परिजनों द्वारा चिकित्सकों की पिटाई व तोडफ़ोड़ से नाराज होकर शनिवार को निजी अस्पतालों में ओपीडी बंद रखा गया। वहीं, नेशनल मेडिकल कालेज में भी पिछले दिनों चिकित्सकों ने हड़ताल की थी।

इन घटनाओं से रोगियों को काफी परेशानी हुई थी। दूर दराज से आनेवाले रोगियों को बिना चिकित्सकीय सलाह के ही लौटना पड़ा था। इस स्थिति को देखते हुए पीबीटी की ओर से मेडिकल काउंसिल बंगाल के रजिस्ट्रार मानस चक्रवर्ती को पत्र देकर इनके खिलाफ कार्रवाई करने की अर्जी की गई है।

पीबीटी के कुणाल साहा ने बताया कि उन्होंने एक पत्र दिया है लेकिन अब तक कोई प्रतिक्रिया नहीं मिली है। मेडिकल काउंसिल आफ इंडिया के कोड आफ मेडिकल एथिक्स रेगुलेशन 2002 के तहत चिकित्सक हड़ताल नहीं कर सकते हैं। फिर महानगर के निजी व सरकारी अस्पतालों के चिकित्सकों ने हड़ताल कैसे कर दी?

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