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securty in schools of city of joy: कितने सुरक्षित महानगर के शैक्षिक संस्थान?

locationकोलकाताPublished: Jun 27, 2019 04:14:34 pm

Submitted by:

Shishir Sharan Rahi

HOW SAFE R schools of kolkata? बच्चों की सुरक्षा को लेकर चिंता में अभिभावक—कहीं सीसीटीवी, तो कहीं नदारद—सीबीएसई के दिशा–निर्देशों का पूर्ण पालन नहीं–छात्रा की खुदकुशी के बाद जीडी बिड़ला स्कूल फिर सुर्खियों में

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securty in schools of city of joy: कितने सुरक्षित महानगर के शैक्षिक संस्थान?

कोलकाता. आज से 18 माह पहले छात्रा से अश्लील हरकत से सुर्खियों में आया जीडी बिड़ला स्कूल पिछले दिनों 10वीं की छात्रा की खुदकुशी को लेकर एक बार फिर चर्चित हो गया। दोनों ही घटनाओं में अभिभावकों सहित अनेक लोगों ने स्कूल प्रबंधन पर सवाल खड़े किए हैं। इस घटना ने कोलकाता के अभिभावकों के माथे पर फिर से चिंता की लकीरें खीच दी है। अभिभावकों ने जीडी बिड़ला स्कूल प्रबंधन पर छात्र-छात्राओं की सुरक्षा को लेकर गैर-जिम्मेदारी बरतने के लिए सवाल भी खड़े किए हैं। उनका आरोप है कि आखिर इसी स्कूल की व्यवस्था में ऐसी क्या कमी कि बच्चे यहां सुरक्षित नहीं? उनका कहना है कि अधिकतर स्कूलों में टॉयलेट के दरवाजों के पास सीसीटीवी लगे होते है, जिसकी नियमित रूप से जांच-पड़ताल होती है। अब मेधावी छात्रा कृतिका पाल की खुदकुशी के बाद पुलिस स्कूल में लगे सीसीटीवी फुटेज को खंगाल जांच कर रही है कि कहीं इस घटना में अन्य किसी का हाथ तो नहीं? स्कूल कर्मचारियों, शिक्षकों और परिजनों से पूछताछ शुरू कर दी है। अभिभावक बच्चों की सुरक्षा संबंधित जारी सीबीएसई दिशा-निर्देशानुसार स्कूलों में बहाल छात्रों की सुरक्षा व्यवस्था और स्कूल प्रबंधन के रवैए से परेशान हैं। अनेक अभिभावकों ने बताया कि हालांकि इस बार जीडी बिड़ला स्कूल की छात्रा कृतिका ने खुदकुशी की, लेकिन कुछ प्रतिष्ठित स्कूलों को छोड़ अनेक संस्थानों में कर्मचारियों का पुलिस वेरीफिकेशन तक नहीं हुआ। कहीं सीसीटीवी हैं, तो कहीं नदारद। गौरतलब है कि हरियाणा के गुरुग्राम स्थित प्रसिद्ध रयान इंटरनेशनल स्कूल में 7 वर्षीय छात्र की हत्या के बाद सीबीएसई ने बच्चों की सुरक्षा संबंधी दिशा-निर्देश जारी किया था। सीबीएसई की ओर से जारी सर्कुलर में सभी संबंधित स्कूलों को अपने कर्मचारियों की मनोचिकित्सा जांच कराने को कहा गया था। इसमें गैर-शिक्षण कर्मचारियों को भी शामिल किया गया था। अनेक स्कूलों में इस जांच का अभाव है। नाम प्रकाशित न करने की शर्त पर कई अभिभावकों ने आरोप लगाया कि स्कूलों में पढ़ाई के नाम पर मोटी रकम वसूली जाती है, पर छात्र-छात्राओं की सुरक्षा और सुविधा को लेकर कोई इंतजाम नहीं। उनका कहना है कि जब सीबीएसई संचालित शिक्षा मंदिरों में ही छात्र सुरक्षित नहीं तो उनके भविष्य निर्माण के लिए वे किस संस्थान की शरण लें? माहेश्वरी गल्र्स स्कूल की प्रिसिंपल गार्गी सेन गुप्ता ने बताया कि उनके स्कूल की ओर से सीबीएसई की ओर से जारी गाइडलाइन का पूरी तरह पालन किया जा रहा है। इसमें स्कूल के प्रवेश और निकासी द्वार सहित सभी कक्ष में सीसीटीवी लगाए हैं। १९८६ में स्थापित इस स्कूल की छात्राओं की सुरक्षा को ध्यान में देखते हुए स्कूल परिसर के अंदर किसी भी अनजान शख्स का प्रवेश पूर्ण प्रतिबंधित है। सभी कर्मचारियों का बायोडाटा उपलब्ध है और पुलिस वेरिफेकिशन भी कराया है। सेंट जेवियर्स के प्रिसिंपल बेनी थॉमस व राजस्थान विद्या मंदिर के प्राचार्य बच्चा सिंह के अनुसार उनके संस्थान में सीबीएसई की गाइडलाइन का पालन है। कुछ ऐसे भी संस्थान मिले, जिनके पास स्कूल बसों की सुविधा नहीं। कुछ स्कूलों के संस्था प्रधानों ने कोई जवाब नहीं दिया।
–ये हैं सीबीएसई के दिशा–निर्देश

स्कूलों में बच्चों के लिए सुरक्षा और कल्याण सुनिश्चित करने के लिए कर्मचारियों के सदस्यों को पर्याप्त शिक्षित होना चाहिए। स्कूल परिसर सीसीटीवी निगरानी में हो। गैर शिक्षण स्टॉफ जैसे कंडक्टर, बस चालक, चपरासी और अन्य का पुलिस सत्यापन और साइकोमेट्रिक मूल्यांकन। छात्र सुरक्षा की जरूरतों को पूरा करने के लिए माता-पिता-शिक्षक-छात्र समिति लागू करें। स्कूल परिसर तक पहुंचने वाले बाहरी शख्स को नियंत्रित कर आगंतुकों की निगरानी की जानी चाहिए। स्कूलों में यौन उत्पीडऩ पर आंतरिक शिकायत समिति का गठन।
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