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किसानों को भारी पड़ रही जूट की खेती

locationकोलकाताPublished: Oct 16, 2017 10:36:11 pm

पश्चिम बंगाल में जूट उत्पादक किसानों के लिए जूट खेती भारी पडऩे लगी है। फसलों को बेचने के लिए उन्हें केंद्र सरकार की ओर से निर्धारित समर्थन मूल्य नहीं

Jute farming

कोलकाता. पश्चिम बंगाल में जूट उत्पादक किसानों के लिए जूट खेती भारी पडऩे लगी है। फसलों को बेचने के लिए उन्हें केंद्र सरकार की ओर से निर्धारित समर्थन मूल्य नहीं मिल रहे हैं। टीडी-५ व ६ का भाव सरकारी मूल्य ३५०० के मुकाबले ३२०० और ३१०० के मुकाबले २३०० रुपए प्रति क्ंिवटल बिक रहा है।

आरोप है कि मुर्शिदाबाद में किसान १८०० रुपए प्रति क्ंिवटल की दर से अपना फसल बेचने को विवश हो रहे हैं। कारण भारतीय जूट निगम निम्न गुणवत्ता वाले (इनफीरियर क्वालिटी) जूट खरीदने को इच्छुक नहीं दिखती। किसानों के विभिन्न संगठनों ने इसके लिए सरकारी संस्था भारतीय जूट निगम (जेसीआई) की उदासीनता को दोषी ठहरा रहे हैं। इधर, इस मुद्दे पर भावी रणनीति तय करने के लिए तृणमूल कांग्रेस समर्थित किसानों का संगठन तथा जूट मिल मालिकों का संगठन इंडियन जूट मिल्स एसोसिएशन (इजमा) शुक्रवार को बैठक कर रहे हैं।


जिलों में किसानों को केंद्र सरकार की योजनाओं के तहत जूट की खेती करने का उन्हें दाम नहीं मिल रहा है। हुगली जिले के हरिपाल, तारकेश्वर, अस्तरा, जामबाटी, जमाईबाटी, रुपनारायणपुर, मुर्शिदाबाद जिले के आमतल्ला, त्रिमोहिनी, पाटिकाबाड़ी, कालीतल्ला और बेलडांगा समेत राज्य के दूसरे भागों में जूट किसानों में नाराजगी चरम पर है। हुगली के तारकेश्वर अस्तरा गांव के मोहन लाल सामंत, हरिपाल के प्रसेनजीत घोष और गोविन्द गायन सरीखे किसानों का कहना है कि एक बिघा जमीन पर करीब चार क्वींटल जूट उगता है। इस पर करीब १३,००० रुपए की लागत आती है, पर जूट का वर्तमान बाजार भाव के अनुसार उन्हें १२,००० रुपए ही मिल रहा है।


केंद्र का फार्मूला पर फिरा पानी
हुगली के हरिपाल के किसानों का कहना है कि जूट के तैयार फसलों को सड़ाने की सरकारी फार्मूला कारगर नहीं है। इनके अनुसार केंद्रीय संस्था इजिरा (इंडियन जूट इंडस्ट्रीज रिसर्च एसोसिएशन) ने जूट को सड़ाने के लिए सोना पावडर नामक एक रसायन विकसित किया है। बताया गया कि इसके प्रयोग से जूट की गुणवत्ता (सोनाली रेशा) निखड़ेगी और इसके तैयार होने में काफी कम समय लगेगा। लेकिन हकीकत में ऐसा नहीं हो रहा है।


इधर, मुर्शिदाबाद के नवदा से कांग्रेस विधायक अबू ताहेर खान ने पत्रिका को बताया कि उनके जिले में जूट का बाजार काफी खराब है। उनके अनुसार जिले में टीडी-५ व टीडी-६ ग्रेड का जूट का उत्पादन अधिक हुआ। केंद्रीय संस्था जेसीआई ने पिछले दो दिनों से जूट खरीदना शुरू किया है, पर यहां के किसानों के पास उनके मुताबिक जूट नहीं है।


जेसीआई का इनकार
जेसीआई ने समर्थन मूल्य से नीचे जूट बिकने की बात से इनकार किया है। संस्था के डीजीएम के.के. मजूमदार ने पत्रिका से बातचीत में कहा कि केंद्र सरकार जूट उत्पादन किसानों की रक्षा करने में पीछे नहीं रहेगी। उन्होंने बताया कि जेसीआई ने कोलाघाट, जिराट और चापाडांगा समेत अन्य इलाकों में शिविरों के माध्यम से अब तक किसानों से ७५,००० क्वींटल जूट की खरीदारी की है। मजूमदार ने स्पष्ट किया कि जेसीआई केवल निम्न गुणवत्ता वाला जूट नहीं खरीदेगा।

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