दक्षिण कोलकाता की जानी पहचानी सडक़ अब तमिलनाडू की एक हिस्से के रुप में बदलने की तैयारी होने लगी है। यहां द्रविड़ सभ्यताकालीन भव्य शिव मंदिर का मॉडल तैयार किया जा रहा। दूर से सोने के पिरामिड जैसे दिखने वाली विशालकाय प्रतिकृति भारतीय सभ्यता, संस्कृति और मूर्तिकला के संगम की कहानी करने को तैयार हो रही है। इसके अंदर प्राचीन कालीन शैली में बनी विभिन्न देवी-देवताओं की मूर्तियां हैं। यह 11 सदी के दौरान द्रविड़ सभ्यता युग में तमिलनाडू के चिरुचिरापल्ली से करीब 65 किलो मीटर दूर स्थित वृहदेश्वर मंदिर का मॉडल है, जिसे एकडलिया एवरग्रीन क्लब इस साल अपने दुर्गा पूजा पण्डाल के रुप में सजा रहा है। द्रविड़ सभ्यता युग में बने होने के कारण वृहदेश्वर मंदिर पर द्रविड़ सभ्यता और कला की छाप है। ग्रेनाईट पत्थर से बने मूल मंदिर के मुख्य स्तूप की ऊंचाई 216 फिट है। मंदिर के अंदर पत्थरों पर विभिन्न देवताओं की मूर्तियां उकेरी गई हैं। मूल मंदिर के अनुरूप एकडालिया पार्क के पूजा पण्डाल को तैयार किया जा रहा है। वृहदेश्वर मंदिर की अनुकृति तैयार करने के कलाकार पण्डाल के निर्माण में फाइबर का इस्तेमाल कर रहे हैं।
पूजा कमेटी के कोषाध्यक्ष स्वपन महापात्र ने कहा कि वे अपनी परम्परा नहीं तोड़ेंगे। कोलकाता के लोग हमारी दुर्गा मां की प्रतिमा देखने आते हैं। इस लिए हम कभी भी थीम पूजा नहीं करेंगे। चण्डीपाठ में मां के रूप का जिस तरह का वर्णन है हमारे पण्डाल में हमेशा वैसी ही रूप में मां दुर्गा विराजमान होती रहेंगी।