उन्होंने यह खुलासा यहां एक कार्यक्रम के दौरान किया। उन्होंने कहा कि अगर उक्त रेल कॉरिडोर बनाने की इस योजना को जमीन पर उतारा जाता है तो कुछ ही घंटों में कोलकाता से कुनमिंग शहर पहुंचा जा सकता है। उन्होंने कहा कि इस प्रस्तावित योजना से पड़ोसी देश बांग्लादेश और म्यांमार भी होगा, क्योंकि यह हाई स्पीड रेल लिंक उक्त दोनों देशों को भी जोड़ेगा। इस रेल रूट के साथ औद्योगिक कलस्टर भी तैयार किया जा सकता है और 2800 किलो मीटर लंबी रेल योजना से तीनों देशों के आर्थिक विकास में वृद्धि होने की तीव्र संभावनाएं हैं। मा झानवु ने बताया कि वर्ष 2015 में कुनमिंग में ग्रेटर मेकोंग सब-रीजन (जीएमएस) बैठक में इस परियोजना पर चर्चा हुई थी। इस योजना का उद्देश्य बांग्लादेश-चीन-भारत-म्यांमार (बीसीआईएम) कॉरिडोर में व्यापारिक गतिविधियां बढ़ाना है। कोलकाता और कुनमिंग के बीच संपर्क बढ़ा कर उनका देश सिल्क रूट को फिर से पुनर्जीवित करने का प्रयास कर रहा है। उन्होंने कहा कि चीन और भारत, दोनों को एक दूसरे का सहयोग करना चाहिए। कोई भी देश अकेले समस्याओं का हल नहीं कर सकता। चीन के बहुत से निवेशक भारत में निवेश करने के लिए इच्छुक हैं। वे अपनी हिस्सेदारी के लिए जवाबदेही हैं। इस लिए वे लाभ के बारे में सोच रहे हैं। अप्रैल 2018 में चीन के शहर में हुई वुहान समिट में भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और चीन के राष्ट्रपति जिंपिंग दोनों देश के भावी पार्टनशिप के बारे में सहमत भी हुए थे।