इस जेल में 2200 कैदियों के रहने की व्यवस्था है। जबकि अलीपुर सेंट्रल जेल में 1800 केदियों के ही रहने की व्यवस्था है। प्रथम चरण में 850 कैदियों को यहां रखा जाएगा। अगले साल जून में यहां अन्य कैदियों को भी लाया जाएगा। दावा किया गया है कि पश्चिम बंगाल के इतिहास में पहली बार है कि इतनी बड़ी संख्या में कैदियों को एक जगह से दूसरी जगह शिफ्ट किया जाएगा। इसमें विशेष तौर पर सीसीटीवी कैमरे लगाए गए हैं। इसके जरिए जेल के चप्पे-चप्पे पर निगरानी रखी जा सकती है। इसके अलावा इलेक्ट्रॉनिक सर्विलेंस की व्यवस्था की गई है, ताकि कैदियों की प्रत्येक संदिग्ध गतिविधि पर नजर रखी जा सके।
अलीपुर सेंट्रल जेल कोलकाता के बिल्कुल मध्य में है और उसके एक तरफ नाला तथा दूसरी ओर घनी बस्ती तथा भारी यातायात होने की वजह से बड़ी संख्या में मोबाइल, गांजा, चरस, अफीम, शराब आदि प्रतिबंधित चीजों की तस्करी होती रही है। इस जेल में अमरीकन सेंटर हमले का मास्टरमाइंड अफताब अंसारी बंद था। इसके सेल से 03 मोबाइल फोन और 33 सिम कार्ड बरामद किए गए थे। जांच में पता चला था कि जेल में बैठकर ही वह पाकिस्तान में आतंकियों से लगातार बात करता था। इसी तरह से 4 महीने पहले जेल अस्पताल में काम करने वाले चिकित्सक अमिताभ चौधरी को गिरफ्तार किया गया था। इसके पास से 30 मोबाइल फोन, 28 चार्जर, 5 किलो गांजा जब्त किया गया था।
वह जेल अस्पताल में चिकित्सक था इसलिए उसकी सुरक्षा जांच नहीं होती थी और इसका लाभ उठाकर वह लगातार कैदियों तक प्रतिबंधित चीजों को पहुंचाता रहता था। जेल प्रबंधन की लाख सख्ती के बावजूद यहां कैदियों के बीच गैर कानूनी प्रतिबंधित चीजों की तस्करी नहीं रूक रही थी। इसके अलावा जेल की इमारत भी काफी पुरानी हो चुकी थी और निगरानी संबंधित व्यवस्थाएं भी प्राचीन थीं। इसे अत्याधुनिक करने में काफी खर्च लगता। इसको ध्यान में रखते हुए पश्चिम बंगाल सरकार ने जेल को दक्षिण 24 परगना के बारुईपुर में शिफ्ट करने का निर्णय किया था। दो मंजिला इमारत वाली यह जेल बनकर तैयार हो गई है। जल्द ही इस में कैदियों को शिफ्ट करने का कार्य शुरू किया जाएगा।