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TOY-JOY BECAME BOON FOR POOR SCHILDRENS : खिलौने देकर हजारों बच्चों के चेहरे पर लाई मुस्कान

locationकोलकाताPublished: Jun 27, 2019 04:40:41 pm

Submitted by:

Shishir Sharan Rahi

प्रवासी राजस्थानी किशोर आर्यमान की पहल, हर बच्चे के पास हो खिलौना—-घर पर ही बनाया ट्वॉय ज्वॉय चैरिटेबल ट्रस्ट

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TOY-JOY BECAME BOON FOR POOR SCHILDRENS : खिलौने देकर हजारों बच्चों के चेहरे पर लाई मुस्कान

कोलकाता (शिशिर शरण राही) . कहा जाता है कि उदास-मायूस चेहरों पर मुस्कान लाने, जरूरतमंदों को खुशी प्रदान करने से बढक़र दुनिया में कोई बड़ा पुण्य और मानव सेवा नहीं है। सामाजिक सेवा क्षेत्र में उल्लेखनीय योगदान के लिए राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद के हाथों महिला-बाल विकास मंत्री मेनका गांधी और अन्य हस्तियों की मौजूदगी में राष्ट्रपति भवन, नई दिल्ली में प्रधानमंत्री राष्ट्रीय बाल शक्ति पुरस्कार से सम्मानित आर्यमान लखोटिया (17) ने कम उम्र में ही ऐसा कर दिखाया। मूल रूप से राजस्थान के चूरू निवासी व्यवसायी विकास कुमार लाखोटिया के पुत्र आर्यमान ने 4 साल पहले स्थापित …ट्वॉय ज्वॉय चैरिटेबल ट्रस्ट से कोलकाता के हजारों वैसे जरूरतमंद बच्चों के चेहरे पर मुस्कान लाकर उनके लिए उम्मीद की किरण लाई, जो खिलौने से वंचित थे और जिनके परिजन खिलौने नहीं खरीद सकते। आज वह देशभर के उन जरूरतमंद बच्चों के लिए आशा की किरण बना हुआ है। सेंट जेम्स स्कूल से क्लास 12 में इसी साल 94 फीसदी अंकों से सफल छात्र आर्यमान 15 अगस्त को उच्च शिक्षा के लिए अमेरिका के हार्वड रवाना होंगे। विद्या मंदिर में पिछले दिनों माहेश्वरी समाज के एक कार्यक्रम में आर्यमान ने बताया कि .ट्वॉय ज्वॉय चैरिटेबल ट्रस्ट के गठन के पीछे उसका मकसद यह था कि हर बच्चे के पास खुद का खिलौना हो। उसने अपने घर पर ही यह ट्रस्ट बनाया और पुराने-नए खिलौने जुटाकर जरूरतमंद बच्चों को फ्री बांटा। आज कतर/दोहा के अलावा भारत के 7 शहरों में उसका ट्रस्ट चल रहा है। ट्वॉय ज्वॉय का फेसबुक पेज भी है। आर्यमान अपनी बहन अनन्या के साथ घर में खिलौनों के ढेर से उन बच्चों को उपहार स्वरूप देता है जो इसे खरीदने में सक्षम नहीं। करीब 2 हजार से अधिक खिलौने एकत्र किए। उसने बताया कि बतौर एक बच्चे के रूप में पसंदीदा खिलौना उसका बैट्री से चलने वाला बीएमडब्ल्यू था जिसे उसके पिता ने जन्मदिन पर उपहार में दिया था।
—-ऐसे आया यह आइडिया
वह दोस्तों, रिश्तेदारों और यहां तक कि अजनबियों से भी खिलौने इकट्ठा करता है। उसके दिमाग में यह आइडिया जयपुर में प्रवास के दौरान उस समय आया जब वह चचेरे भाई की बर्थडे पार्टी से लौट रहा था। एक ट्रैफिक लाइट पर जब वह रूका तो एक भिखारी बालक ने उसकी कार की खिडक़ी पर दस्तक दी जो कार की सीट पर मौजूद बर्थडे गिफ्ट्स को बड़ी उत्सुकता से देख रहा था। घर वापस आकर आर्यमान ने इस ट्रस्ट को बनाने का फैसला किया। दोस्तों के साथ उसने एनजीओ, अनाथालय, सेंट जेम्स, पार्क सर्कस और अन्य स्थानों के जरिए खिलौने जुटाए। सोशल मीडिया का उपयोग करते हुए उसने अन्य शहरों में अपने ट्रस्ट को भी विस्तार किया। सेंट जेम्स स्कूल ने भी उसकी पहल का भरपूर समर्थन किया।

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