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यूनाइटेड इंडिया रैली में भाजपा विरोधियों ने दिखाई एकता

locationकोलकाताPublished: Jan 19, 2019 11:05:57 pm

Submitted by:

Manoj Singh

तृणमूल कांग्रेस की रैली में आए कश्मीर से कन्याकुमारी तक के नेताओं ने किया मोदी सरकार को उखाड़ फेकने का आह्वान
चुनाव के बाद प्रधानमंत्री के चयन करने का किया ऐलान
 

kolkata

यूनाइटेड इंडिया रैली में भाजपा विरोधियों ने दिखाई एकता

तृणमूल कांग्रेस प्रमुख ममता बनर्जी के आह्वान पर भाजपा के खिलाफ शनिवार को कोलकाता में आयोजित यूनाइटेड इंडिया रैली में देश की करीब दो दर्जन विपक्षी पार्टियों के नेताओं ने एकजुटता का प्रदर्शन किया और प्रत्येक राज्य में ऐसी ही रैली करने का ऐलान किया। इस महारैली में आए नेताओं ने भाजपा पर लोकतंत्र और संविधान को खत्म करने, धर्म के आधार पर समाज और देश को बांटने और सबसे बड़ा घोटाला करने का आरोप लगाया, साथ मिल कर केन्द्र की सत्ता से नरेन्द्र मोदी की सरकार को उखाड़ फेंकने का एक मात्र लक्ष्य होने और चुनाव बाद प्रधानमंत्री उम्मीदवार का चयन करने की बात कही।
कोलकाता
तृणमूल कांग्रेस प्रमुख ममता बनर्जी के आह्वान पर भाजपा के खिलाफ शनिवार को कोलकाता में आयोजित यूनाइटेड इंडिया रैली में देश की करीब दो दर्जन विपक्षी पार्टियों के नेताओं ने एकजुटता का प्रदर्शन किया और प्रत्येक राज्य में ऐसी ही रैली करने का ऐलान किया। इस महारैली में आए नेताओं ने भाजपा पर लोकतंत्र और संविधान को खत्म करने, धर्म के आधार पर समाज और देश को बांटने और सबसे बड़ा घोटाला करने का आरोप लगाया, साथ मिल कर केन्द्र की सत्ता से नरेन्द्र मोदी की सरकार को उखाड़ फेंकने का एक मात्र लक्ष्य होने और चुनाव बाद प्रधानमंत्री उम्मीदवार का चयन करने की बात कही।
केन्द्र की सत्ताधारी पार्टी के खिलाफ कोलकाता के ऐतिहासिक ब्रिगेड परेड मैदान में आयोजित ममता बनर्जी की यूनाइटेड रैली में कश्मीर से ले कर कन्या कुमारी तक के 23 भाजपा विरोधी राजनीतिक दलों के नेताओं ने गोलबंदी दिखाई। इसमें पूर्व प्रधानमंत्री एचडी देवेगौड़ा, उनके पुत्र और कर्नाटक के मुख्यमंत्री एचडी कुमारस्वामी सहित तीन मुख्यमंत्री, यूपी के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव सहित छह पूर्व मुख्यमंत्री और अटल बिहारी बाजपेयी की पूर्व केन्द्र सरकार के तीन मंत्री और भाजपा के बागी नेता- यशवंत सिन्हा, शत्रुघन सिन्हा और अरुण शौरी शामिल थे। महारैली में शामिल होने वालों में आंध्रप्रदेश के मुख्यमंत्री चंद्रबाबु नायडू, दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल, डीएमके प्रमुख स्टालिन, झामुमो नेता हेमंत सोरेन, अरुणाचल प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री गेगोंग अपांग, बसपा नेता सतीश चंद्र मिश्र, लोकसभा में विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खडग़े और कांग्रेस नेता अभिषेक मनु सिंघवी ने भी हिस्सा लिया।
भाजपा के तीनों बागियों ने पीएम मोदी पर तानाशाही चलाने, लोकतंत्र और संविधान को ध्वस्त करने के अलावा सीबीआई, आरबीआई, इडी और चुनाव आयोग सहित देश के सभी संवैधानिक संस्थानों को नष्ट करने का आरोप लगाया। ममता बनर्जी सहित रैली में शामिल दूसरे सभी नेताओं ने भी मोदी और शाह पर यही आरोप लगाए। तीनों भाजपा बागियों ने मोदी सरकार को उखाड़ फेकने के लिए भाजपा के खिलाफ साझा उम्मीदवार खड़ा करने की नसीहत दी। यही नसीहत फारुख अब्दुल्ला, शरद यादव और केजरीवाल ने भी दी। ममता बनर्जी और यूपीए की चेयरपर्स सोनिया गांधी और कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी के दूत बन कर आए मल्लिकार्जुन खडग़े ने भी यही बात कही। लेकिन भाजपा के खिलाफ साझा उम्मीदवार खड़ा करने के लिए किसी भी नेता ने खुल कर नहीं कहा। इशारे ही इशारों में खडग़े ने भाजपा के खिलाफ विपक्षी एकता बनाए रखने और इसमें कांग्रेस को शामिल करने की अपील की। उन्होंने कहा कि भाजपा विरोधी दलों का एक दूसरे से दिल मिले या न मिले लेकिन हाथ मिलाते रहना चाहिए। अगला प्रधानमंत्री यूपी से ही बनने का दावा करने वाले अखिलेश यादव, फारुख अब्दुल्ला, शत्रुघन सिन्हा और ममता बनर्जी ने चुनाव के बाद विपक्ष के प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार का चयन करने की घोषणा की। सभी नेताओं ने कहा कि अगला लोकसभा चुनाव प्रधानमंत्री और सरकार बनाने के लिए नहीं है, बल्कि यह चुनाव देश और संविधान को बचाने के लिए है। ममता बनर्जी ने कहा कि भाजपा में प्रधानमंत्री के लिए सिर्फ एक ही नेता है। लेकिन विपक्ष में प्रधानमंत्री बनने वाले नेताओं की कमी नहीं है।
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