तालाब की खुदाई में भगीरथ बनी महिलाएं और पुरुष
किशनगढ़Published: May 26, 2019 04:19:43 pm
पानी और जल स्त्रोतों को बचाने का लिया संकल्पराजस्थान पत्रिका के अमृतं जलम् अभियान के अंतर्गत पाटन में तालाब की खुदाई में ग्रामीणों ने बहाया पसीना
तालाब की खुदाई में भगीरथ बनी महिलाएं और पुरुष
मदनगंज-किशनगढ़. किशनगढ़ के निकटवर्ती गांव पाटन के तालाब में राजस्थान पत्रिका के अमृतं जलम अभियान के तहत रविवार को ग्रामीणों ने श्रमदान कर खुदाई में अपना योगदान दिया। ग्रामीण महिलाएं और पुरुषों ने मिलजुल कर खुदाई कार्य कर पसीना बहाया। साथ ही ग्रामीणों ने सामुहिक रूप से पानी और जल स्त्रोतों को बचाने का संकल्प भी लिया।
पाटन तालब पर सरपंच गणपतलाल यादव ने खुदाई कार्य कर अभियान का शुभारंभ किया। इस श्रमदान में हर उम्र के पुरुषों और महिलाओं ने उत्साह से भाग लिया। महिलाओं ने भी मिट्टी तगारियों में भरकर पाल पर फैंकी। खुदाई कार्य शुरू होने के कुछ ही देर बाद महिलाओं राजस्थानी गीत गाती हुए उत्साहपूर्वक श्रमदान किया। तालाब खुदाई कार्य में 350 ग्रामीणों ने भाग लिया और उत्साह एवं लग्न से श्रमदान में पसीना बहाया। ग्रामीणों ने सुबह 10 से दोपहर 12 बजे तक किसी ने मिट्टी खोदी तो किसी ने मिट्टी से भरी जगारियां फैंक कर श्रमदान किया। तालाब में पथरीली भूमि होने के बावजूद गेंती चलाने में महिलाएं भी पीछे नहीं रही। ग्रामीणों ने बताया कि तालाब की हालत में सुधार होने पर इसमे अधिक पानी एकत्र हो सकेगा जिससे पाटन समेत आस पास के गांव ढ़ाणियों के लोगों और पशुधन के लिए भी पानी उपलब्ध हो सकेगा। सरपंच गणपतलाल यादव एवं सभी श्रमदान करने आए ग्रामीणों ने राजस्थान पत्रिका के अभियान के तहत तालाब की खुदाई कार्य में श्रमदान के आयोजन पर आभार जताया।
तो बढ़ जाएगा जलस्तर
पाटन ग्राम पंचायत के सरंपच गणपत लाल यादव ने बताया कि यह तालाब करीब 100 बीघा क्षेत्र में फैला है। इस तालाब में हाइवे सहित आसपास के गांवों की ऊंचाई से पानी आता है। गत दो साल से बरसात कम होने के कारण पानी कम आ रहा है। केवल बरसात के समय ही पानी दिखाई देता है फिर पानी समाप्त हो जाता है। इस तालाब का कायाकल्प और अच्छी बरसात होने पर इसमे पानी आए तो भूमिगत जलस्तर बढ़ जाएगा। बरसात के समय इसकी पाल और आसपास हरियाली के लिए पौधरोपण भी किया जाएगा। इस तालाब की ऊंचाई 20 से 35 फीट तक है। तालाब में पानी भर जाए तो कुंओं और हैंडपंप में अच्छा पानी आने लग जाए और गांव में पेयजल की समस्या का समाधान हो जाएगा। इसके साथ ही खेतीबाड़ी के लिए भी किसानों को पर्याप्त पानी मिल सकेगा।