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दस करोड़ की लागत से तैयार भवन की बारिश में टपकने लगी छत,

locationखरगोनPublished: Aug 25, 2019 06:10:29 pm

Submitted by:

Jay Sharma

जिला अस्पताल में एमसीएच की बिल्डिंग का नहीं हो रहा उपयोगरिनोवश का कार्य अधूरा, गेट के सामने लगा गिट्टी व रेत का ढेर

District Hospital khargone

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खरगोन. जिला अस्पताल में गर्भवती महिलाओं व जन्म लेने वाले बच्चों के इलाज के लिए एमसीएच सेंटर तो बनाया गया, लेकिन इसका उपयोग नहीं हो रहा है। करीब दस करोड़ की लगात बनी बिल्डिंग अनुपयोगी होकर शोपिस साबित हो रही है। ऐसा इसलिए कि यह भवन तीन साल में भी पूरी तरह बनकर तैयार नहीं हुआ। आलम यह है कि बारिश में नए भवन की छत टपकने लगी है। मालूम हो कि शुरुआती दो वर्षों तक कार्य धीमी रफ्तार से चला। इसके बाद काम हुआ, तो उसमें ओटी सहित डॉक्टरों के बैठक और वॉश रूम की व्यवस्था अलग-अलग नहीं होने से दोबारा रिनोवेट किया जा रहा है। यह अबतक पूरा नहीं हुआ। ऐसे में शासन व स्वास्थ्य विभाग की मंशा के अनुरूप महिला मरीजों को लाभ नहीं मिला है। दूसरी ओर मेटरनिटी वार्ड में पूरे समय मरीजों की भरमार देखी जा सकती है। यहां मरीजों की तुलना में पर्याप्त पलंग और सोने की व्यवस्था नहीं होने से अक्सर महिलाओं को परेशान होना पड़ता है।
मुख्य गेट पर रेत व गिट्टी के ढेर
ट्रामा सेंटर की तरह ही एमसीएच सेंटर के हाल हो गए हैं। यहां मुख्य गेट एक बार भी नहीं खुला है। गेट के सामने ही रेत व गिट्टी के ढेर लगे हैं। इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि अंदर अब भी काम बाकी है। पीआईयू के बाद ठेकेदार की मदद से रिनोवेश का काम किया जा रहा है, लेकिन इसे देखने वाला कोई नहीं।

प्रसूताओं की परेशानी पर नहीं ध्यान
अस्पताल में मेटरनिटी वार्ड ही ऐसी जगह है, जहां पर्याप्त डॉक्टरों के साथ स्टाफ है। यहां प्रतिदिन 25 से 30 महिलाओं की डिलीवरी कराई जाती है। मरीजों के दबाव के चलते यहां वार्ड छोटा पड़ रहा है। इसके बावजूद प्रसूताओं की परेशानी पर किसी का ध्यान नहीं। प्रभारी मंत्री से लेकर कलेक्टर व अन्य आला अधिकारी अस्पताल का दौरा कर चुके हैं। एमसीएच सेंटर को शुरू करने में किसी ने दिलचस्पी नहीं दिखाई।

हेंडओवर नहीं
बारिश की वजह से छत टकपने के कारण निर्माण रूका है। बिल्डिंग बनने के बाद उसमें कुछ सुधार करना था। इसलिए रिनोवेशन किया जा रहा है। अभी यह विभाग को हेंडओवर नहीं हुई है।
डॉ. राजेंद्र जोशी, सिविल सर्जन जिला अस्पताल

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