scriptन बैंड-बाजा, न बारात कोर्ट में आईएएस हुए एक-दूजे के | IAS couple gets married in Khandwa DM court | Patrika News
खंडवा

न बैंड-बाजा, न बारात कोर्ट में आईएएस हुए एक-दूजे के

खंडवा में एक ऐसी शादी देखने को मिली जिसमें न तो बैंडबाजे थे, न बारात थी। कलेक्टोरेट में आईएएस अधिकारी सादगी के साथ एक-दूजे के हो गए।

खंडवाDec 02, 2017 / 12:28 pm

पीयूष तिवारी

IAS couple and DM and SP

IAS couple and DM and SP

खंडवा. शादी के लिए जहां एक ओर लोग लाखों रुपए खर्च करते हैं, वहीं कुछ लोग इसे फिजूलखर्ची मानते हैं। शुक्रवार को खंडवा में एक ऐसी ही शादी देखने को मिली जिसमें न तो बैंडबाजे थे, न बारात थी। कलेक्टोरेट में आईएएस अधिकारी सादगी के साथ एक-दूजे के हो गए। इस शादी के साक्षी बने कलेक्टर अभिषेक सिंह और एसपी नवनीत भसीन।
एमपी कैडर में 2016 बैच की आईएएस प्रीति यादव (उप्र निवासी) खंडवा में सहायक कलेक्टर के पद पर हैं। जयपुर के रहने वाले दिलीप कुमार यादव नागालैंड कैडर के 2014 बैच के आईएएस हैं। शुक्रवार शाम 4.30 बजे कलेक्टर कोर्ट में आईएएस प्रीति और दिलीप परिजन के साथ कलेक्टोरेट पहुंचे। यहां न्यायालयीन प्रक्रिया पूरी करने के बाद करीब 4.50 बजे दोनों अधिकारियों ने जिला मजिस्ट्रेट अभिषेक सिंह के समक्ष एक-दूसरे को वरमाला पहनाई। बाद में एक-दूसरे को मिठाई खिलाई। तीन गवाहों में एक में जहां प्रीति के पिता तो दो गवाहों में एसपी भसीन और जिला पंचायत सीईओ वरदमूर्ति मिश्र ने हस्ताक्षर किए।
आने वाले समय की जरूरत है
आईएएस अधिकारी प्रीति-दिलीप ने कहा शादी कहीं से भी हो, प्रमाण पत्र तो सभी को बनवाना है। इसलिए न्यायालय को ही सबसे पवित्र स्थान मानते हुए यहां विवाह बंधन में बंधे। आईएएस दंपत्ति ने इस शादी को आने वाले समय के लिए जरूरत और युवाओं के लिए एक बेहतर संदेश बताया। कलेक्टर ने कहा मैंने कॅरियर में यह पहली शादी कराई है। दोनों अधिकारियों ने कोर्ट में शादी कर समाज के सामने उदाहरण पेश किया है। इस शादी की खबर कलेक्टोरेट परिसर में दिनभर चर्चा का विषय बनी रही।
सभी ने की सराहना
शादी की सभी ने सराहना की। आज के युवाओं के लिए प्रेरणादाई संदेशप्रद शादी बताया। अधिकारियों के अनुसार खंडवा कोर्ट में पहली बार किसी आईएएस की शादी की गई है। इसको लेकर अधिकारियों में विशेष उत्साह और दिलचस्पी दिखी। सभी शाम को कलेक्टर कोर्ट के पास पहुंचे। कम लोग ही थे, लेकिन खुशी खूब नजर आई। जहां अधिकारी ही बराती व घराती बने।
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