scriptऐसी क्या मजबूरी कि राशन लाने करना पड़ता है 10-10 रुपए का चंदा | What is the compulsion of bringing ration to a donation of 10-10 rupee | Patrika News

ऐसी क्या मजबूरी कि राशन लाने करना पड़ता है 10-10 रुपए का चंदा

locationकवर्धाPublished: Sep 12, 2018 10:35:00 am

Submitted by:

Yashwant Jhariya

बीजाझोरी के ग्रामीण हर महीने 10-10 रुपए किराए देकर ट्रैक्टर से एकसाथ डबराभाट जाते हैं वहां से राशन को लादकर गांव पहुंचते हैं। कुछ लोग साइकिल से राशन लाते हैं।

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ऐसी क्या मजबूरी कि राशन लाने करना पड़ता है 10-10 रुपए का चंदा

कवर्धा . हर गांव में राशन दुकान नहीं है। आश्रित ग्राम के हितग्राहियों को राशन के लिए कई किलोमीटर दूरी का सफर तय करना होता है। सस्ते दर पर राशन तो जरूर मिल रहा है लेकिन इसके लिए बुजुर्गों को भी तकलीफ उठानी पड़ रही है।
ग्राम बीजाझोरी की 90 वर्षीय मनबिसरिन बाई यादव हर माह ट्रैक्टर पर बैठकर राशन के लिए डबाराभाट पहुंचती है। क्योंकि चार किमी दूर राशन दुकान से चावल, नमक लाने का और कोई दूसरा विकल्प इस महिला के पास नहीं है। उम्र के अंतिम पड़ाव में उसे पेट की खातिर जद्दोजहज करनी पड़ी है। इसके लिए वह ट्रैक्टर चालक को हर माह 10 रुपए भी देती है। ऐसा नहीं है कि ट्रैक्टर चालक मात्र 10 रुपए में एक बुजुर्ग महिला का राशन लाती है। यहां पूरा गांव इसी तरह से राशन लाता है। कई बार बच्चों को लेकर ही राशन लेने जाना पड़ता है। बारिश में सबसे अधिक परेशानी होती है। लेकिन समस्या देखने वाला कोई भी जिम्मेदार नहीं है।
गांवभर के लोग एकसाथ जाते हैं सोसायटी
बीजाझोरी के ग्रामीण हर महीने प्रति राशन कार्ड 10-10 रुपए किराए देकर ट्रैक्टर से एकसाथ डबराभाट जाते हैं वहां से राशन को लादकर गांव पहुंचते हैं। वहीं कुछ लोग साइकिल और मोटरसाइकिल से राशन सामग्री ला लेते हैं। बावजूद वर्षों बाद भी ग्राम बीजाझोरी में उचित मूल्य की दुकान बनाई जा सकती है जबकि यहां पर 62 परिवार राशन कार्डधारी हंै। बावजूद जनप्रतिनिधियों और प्रशासन को इन ग्रामीणों का जरा भी ध्यान नहीं है। इसके कारण वे धूप व बारिश में भी राशन लेने के लिए सफर करना पड़ रहा है। शासन की योजना का लाभ तो मिल रहा है, लेकिन समस्या दूर नहीं हुई है।
गांव से गांव तक सड़क भी नहीं
समस्या यह भी है कि आश्रित ग्रााम बीजाझोरी से ग्राम पंचायत डबराभाट के लिए मुख्य मार्ग ही नहीं है। खेतों से होकर मार्ग जाता है जो काफी उबड़-खाबड़ है। हादसे का डर तो रोजाना ही बना रहता है। इसके बाद भी राशन के लिए ग्रामीण जान हथेली पर लेकर इस मार्ग से गुजरते हैं। पक्की सड़क नहंी होने के कारण राशन लाने में काफी परेशानी होती है। यह वनांचल की बात हीं है मैदानी क्षेत्र में भी इस प्रकार समस्या है।
जिले में 481 राशन दुकान
जिले में कुल 461 ग्राम पंचायत है इसके अंतर्गत 1049 गांव में हैं जबकि उचित मूल्य की दुकानों की संख्या 481 है। कवर्धा ग्रामीण में 102, पंडरिया ग्रामीण में 143, बोड़ला ग्रामीण में 120, सहसपुर लोहारा ग्रामीण में 96, पंडरिया शहर में चार, लोहारा शहर में दो, कवर्धा शहर में 11, पांडातराई शहर में एक, पिपरिया शहर में एक और बोड़ला शहर में एक उचित मूल्य की राशन दुकान है।
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