उस समय भी ग्रामीणों ने इसका विरोध किया था, लेकिन आदेश नहीं बदला। कवर्धा के विधायक और सरकार मेंं वनमंत्री मोहम्मद अकबर ने पिछले दिनों यह मामला मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के सामने रखा था। मोहम्मद अकबर ने बताया, मुख्यमंत्री के निर्देश के बाद इसकी जांच हुई तो सामने आया कि छत्तीसगढ़ भू-राजस्व संहिता के तहत ऐसी रोक नहीं लगाई जा सकती। इसी वजह से यह रोक हटा ली गई है।
इन गांवों पर लगी थी रोक
कवर्धा-1 के मुंडादादर, झोल, बाकी, कुर्की, केसमर्दा, बनगौरा, हडही, रबदा, भगोडा, भरसीपकरी, सेमसाटा, सुखझर,सलगी ,दलदली, ,बरघाट, बम्हनतरा, अधरीकछार, कोयलारी, मुकाम, गाडाघाट, पीपरघुटा, बाघपाडा, राजाटोला, गढ़हीडोंगरी, बंधोरा, चेन्दरादादर।
कवर्धा-2 के जामपानी, कोटनापानी, बरपानी, लरबक्की, कवाटो, कडोंगर, झिरगीदादर, घुमाछापर, छुही, कुकरीपानी, राली, गुदली, तरेगांव जंगल, दुर्जनपुर, बाटीपथरा।
कवर्धा-3 के ठाकुरटोला, मुडघुसरी, सोनतरा, अमेरा, अगरवाडा, बोदा, सोनतरी, सिली, पचराही, तरसिंग, अंधेरी, परसा, बेला, बैजलपुर, सिंघौरी गांगचुआ, बसीहरसिली, कांपा, पुतकी, जोकपानी, लबदा। पंडरिया-1 के पकरीपानी, मजगांव, भुरभुसपानी, बदना घोघराखुर्द, कुसियारी, ,अमनिया, नेऊर, बासुटोला, कोटनापानी, सेनडीह, वाहपानी, बांगर, सेन्दुरखार, रूखमीदादर, घुरसी और काटापानी।
कलक्टर से लेनी होगी अनुमति
सरकार ने 12 साल पुराने आदेश को निरस्त करने के साथ ही कहा है कि अब उन गांवों में जमीनों की खरीदी-बिक्री हो सकेगी। हालांकि, अनुसूचित जनजाति का व्यक्ति अगर गैर अनुसूचित जनजाति के व्यक्ति को जमीन बेचना चाहता है तो उसे कलक्टर की अनुमति लेनी होगी।