कचरे की तरह तरह फेंके गए ढेरों उपकरण व सामग्री जिनका उपयोग जिला अस्पताल में न सही, लेकिन अन्य सामुदायिक, प्राथमिक या उपस्वास्थ्य केंद्र में किया ही जा सकता था। जिले के अधिकतर शासकीय स्वास्थ्य केंद्रों में सुविधाओं की कमी है। दवाईयों के अलावा उपकरण व सामग्री के लिए हमेशा ही मांग पत्र भेजा जाता है जिसमें बमुश्किल 10 प्रतिशत की पूर्ति हो पाती है।
निष्क्रिय समिति सदस्य
जिला अस्पताल में जीवन दीप समिति और इनके सदस्य हैं ताकि अस्पताल का क्रियांवयन सही तरीके से हो। अब जिला अस्तपाल की स्थिति और छत पर मिले उपकरण व सामग्रियों को देखने के बाद तो यही लगता है कि जीवन दीप समिति के सदस्य के केवल नाम के रह गए हैं। सदस्य निष्क्रिय पड़े हैं जिन्हें जिला अस्पताल से कोई सरोकार नहीं है।