पालिका कार्यालय में दो बैठक टालने के बाद तीसरी बैठक में शहर के विकास को लेकर चर्चा हुई। सामान्य सभा की बैठक शनिवार दोपहर करीब 1.30 बजे प्रारंभ हुई। पहला एजेंडा पढ़ा गया कि नगर पालिका में सौंदर्यीकरण करने के दौरान विभिन्न स्थानों से हटाए गए व्यापारियों के आवदेन के संबंध में विचार व निर्णय किया जाए। अध्यक्ष देवकुमारी ने सभी पार्षदों से इस पर राय पूछी, इस पर कांग्रेसियों ने तीखे तेवर दिखाते हुए अध्यक्ष को एक सूची थमा दी गई, जिसमें 14 लोगों का नाम था। इसमें बकायदा उनके नाम के आगे स्थान का नाम और दुकान का नंबर लिखा था, ताकि उन्हें ही दुकान दिया जाए। पर अध्यक्ष, नेता प्रतिपक्ष और पार्षदों के बीच तीखी बहस होती रही। सामान्य सभा की बैठक के लिए कुल 17 एजेंडा तैयार किया गया। इसमें पहले मुद्दे पर ही कुछ देर बहस हुई। इसके बाद बारी-बारी सभी एजेंडे को पास किया गया।
बिना दस्तावेज दुकान की मांग
कांग्रेसियों द्वारा दिए गए व्यापारियों के नामों को लेकर पालिका प्रशासन को आवेदन मिले हैं न तो जांच हुई और न ही नोटशीट चला है। मतलब बिना दस्तावेज के ही दुकान देने के लिए जोर डाला गया। अध्यक्ष नियम-कानून का हवाला देते हुए इसे एक सिरे से नकार दिया। बावजूद धौंस दिखाते हुए कांग्रेसियों ने बहुमत बताते हुए दबाव बनाया। इससे साफ जाहिर हो गया कि कहीं न कहीं कुछ तो गड़बड़ झाला है। इस पर सभी पार्षदों ने अपना-अपना अभिमत दर्ज कराया।
भाजपा पार्षदों का कांग्रेस को साथ
राज्य में सत्ता परिवर्तन होते ही कुछ भाजपाई पार्षद भी रंग बदलने लगे हैं। पूर्व बैठक तक भाजपा पक्ष की भूमिका अदा करने वाले पार्षद अब विपक्ष कांग्रेस की भूमिका निभाने लगे हैं। इस पर यह भी बात उडऩे लगी है कि कुछ भाजपा के पार्षद जल्द ही कांग्रे्रस पार्टी में शामिल हो जाएंगे।