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कवर्धा

ग्राम सिंगारपुर में परिवार का बहिष्कार

कई गांव में आज भी खाप पंचायत के सामाजिक बहिष्कार जैसे कायदे कानून चल रहे हैं, जबकि यह पूरी तरह से अवैधानिक और असंवैधानिक है। ताजा मामला सहसपुर लोहारा ब्लॉक के ग्राम सिंगारपुर का आया है जहां पर दो धर्मज भाई और उनके परिवार को गांव में सामाजिक बहिष्कार हो चुका है। इन्होंने कलेक्टर, एसपी से लेकर राज्यपाल और प्रधानमंत्री तक शिकायत किए हैं।

कवर्धाOct 18, 2022 / 08:52 pm

Yashwant Jhariya

ग्राम सिंगारपुर में परिवार का बहिष्कार

ग्राम सिंगारपुर में परिवार का बहिष्कार

कवर्धा. अपनी शिकायत में ग्राम सिंगारपुर निवासी सुखीराम पटेल(45) व दुखुराम पटेल पिता स्व. बाबुलाल पटेल(60) ने बताया कि गांव में सरपंच, ग्राम पटेल सहित १५ ग्रामीणों ने मिलकर उनका सामाजिक बहिष्कार कर दिया है।
उक्त बहिष्कार के परिणाम स्वरूप पीडि़त व उनका परिवार प्रभावित हो चुका है और गांव में सभी लोग बातचीत बंद कर दिए हैं। गुजरबसर नहीं चल रहा है। छोटे-छोटे आवश्यकता की चीजों के लिए शहर जाना पड़ता है। बीवी, बच्चे, नाती वगैरह सभी उक्त बहिष्कार से प्रभावित हो रहे हैं। उक्त बहिष्कार छोटे-छोटे बच्चों पर भी लागू हो रहा है जो अत्यन्त दुखद और विडम्बना की स्थिति है। दुखद स्थिति यह रही जब नाती गांव के किराना दुकान में बिस्किट लेने गया तो सामाजिक बहिष्कार के कारण उसे दुकान में प्रवेश ही नहीं करने दिया गया।
यह रहा पूरा मामला
पीडि़त सुखीराम पटेल(45) व दुखुराम पटेल आपस में धर्मज भाई हैं। 22 अगस्त 2022 को मरार (पटेल) समाज द्वारा ग्राम सिंगारपुर में दोपहर 12 बजे के आस-पास सामाजिक बैठक स्कूल भवन में प्रारंभ हुआ। उक्त बैठक के पूर्व भी कई बैठक हो चुका था, जिस बैठक में आवेदक के पिता की मृत्यु दिनाँक 03.08.2019 के पश्चात् भी कई बैठक हुआ है जिसमें आवेदक को जमीन के बंटवारा के लिए एक लाख रुपए सामाजिक अर्थदण्ड की मांग किया जाने लगा। जबकि पहले भी इनसे से दण्ड स्वरूप दबावपूर्वक 11 हजार रुपए मांग लिया गया है। बार-बार उक्त बैठक में यह कहा गया कि, तुम्हें अपने स्वर्गीय पिता द्वारा बैंक से लिया गया कर्ज भी पटाना होगा। उक्त एक लाख रुपए अर्थदण्ड नहीं पटाने के कारण दोनों भाई और उनके परिवार का सामाजिक बहिष्कार कर दिया गया है।
शिकायत, कार्रवाई नहीं
सामाजिक बहिष्कार और दुकान से लेनदेन नहीं होने के संदर्भ में 23 अगस्त 2022 को थाना कवर्धा में लिखित शिकायत किया गया था, लेकिन कोई कार्यवाही नहीं हुई। इसके चलते ही अब पीडि़तों ने इसकी शिकायत कलेक्टर और एसपी से किया। वहीं रजिस्ट्री कर डीजीपी, आईजी, राज्यपाल, कैबिनेट मंत्री, मुख्यमंत्री, केन्द्रिय मुख्य सचिव, राज्य मुख्य सचिव, राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, केन्द्रीय गृह सचिव तक शिकायत भेजा गया।
सरपंच भी शामिल
परिवार को बहिष्कार किए जाने में ग्राम सिंगारपुर का सरपंच भी शामिल है, जो एक संवैधानिक पद में रहते हुए एक अवैधानिक, असंवैधानिक कृत्य में शामिल रहा है जो गंभीर विषय है और कार्यवाही योग्य है। उच्चतम न्यायालय के निर्णय शक्ति वाहिनी विरूद्ध यूनियन आफ इण्डिया जो कि, खाप-पंचायतों के विरूद्ध सत्र 2018 का नवीनतम न्याय दृष्टांत है। इसमें ऐसे फैसलों के विरूद्ध तत्काल प्रथम सूचना दर्ज किए जाने, जिला कलेक्टर द्वारा मानिटरिंग किए जाने और जिला पुलिस अधीक्षक द्वारा स्पेशल सेल का गठन किए जाने संबंधी आदेश देती है।
असंवैधानिक तरीका: तुरंत कार्रवाई हो
इस तरह अर्थदण्ड लगाना और सामाजिक बहिष्कार पूर्णत: असंवैधानिक और अवैधानिक है। यह मौलिक अधिकारों का हनन है। उच्चतम न्यायालय ने खाप-पंचायत के निर्णयों को पूरी तरह से असंवैधानिक करार दिया है। भारत की व्यवस्थापिका द्वारा सामाजिक बहिष्कार प्रतिषेध अधिनियम भी प्रवर्तित है, जिसमें सामाजिक बहिष्कार को दण्डनीय अपराध मानते हुए 7 वर्ष के कारावास और दो लाख रुपए जुर्माने से दण्ड का प्रावधान है। जिन्होंने बहिष्कृत किया उनके विरूद्ध प्रथम सूचना दर्ज कर व पृथक से धारा 151 दण्ड प्रक्रिया संहिता में कार्यवाही कर प्रकरण दर्ज कर अनावेदक को तत्काल गिरफ्तार किया जाना चाहिए। वहीं आवेदकों के गांव में कोटवार से मुनादी करवा कर उक्त बहिष्कार को अमान्य घोषित कराए जाना चाहिए।
सत्यम शिवम् सुन्दरम शुक्ला, अधिवक्ता, जिला न्यायालय कबीरधाम

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