सामाजिक बहिष्कार और दुकान से लेनदेन नहीं होने के संदर्भ में 23 अगस्त 2022 को थाना कवर्धा में लिखित शिकायत किया गया था, लेकिन कोई कार्यवाही नहीं हुई। इसके चलते ही अब पीडि़तों ने इसकी शिकायत कलेक्टर और एसपी से किया। वहीं रजिस्ट्री कर डीजीपी, आईजी, राज्यपाल, कैबिनेट मंत्री, मुख्यमंत्री, केन्द्रिय मुख्य सचिव, राज्य मुख्य सचिव, राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, केन्द्रीय गृह सचिव तक शिकायत भेजा गया।
सरपंच भी शामिल
परिवार को बहिष्कार किए जाने में ग्राम सिंगारपुर का सरपंच भी शामिल है, जो एक संवैधानिक पद में रहते हुए एक अवैधानिक, असंवैधानिक कृत्य में शामिल रहा है जो गंभीर विषय है और कार्यवाही योग्य है। उच्चतम न्यायालय के निर्णय शक्ति वाहिनी विरूद्ध यूनियन आफ इण्डिया जो कि, खाप-पंचायतों के विरूद्ध सत्र 2018 का नवीनतम न्याय दृष्टांत है। इसमें ऐसे फैसलों के विरूद्ध तत्काल प्रथम सूचना दर्ज किए जाने, जिला कलेक्टर द्वारा मानिटरिंग किए जाने और जिला पुलिस अधीक्षक द्वारा स्पेशल सेल का गठन किए जाने संबंधी आदेश देती है।
असंवैधानिक तरीका: तुरंत कार्रवाई हो
इस तरह अर्थदण्ड लगाना और सामाजिक बहिष्कार पूर्णत: असंवैधानिक और अवैधानिक है। यह मौलिक अधिकारों का हनन है। उच्चतम न्यायालय ने खाप-पंचायत के निर्णयों को पूरी तरह से असंवैधानिक करार दिया है। भारत की व्यवस्थापिका द्वारा सामाजिक बहिष्कार प्रतिषेध अधिनियम भी प्रवर्तित है, जिसमें सामाजिक बहिष्कार को दण्डनीय अपराध मानते हुए 7 वर्ष के कारावास और दो लाख रुपए जुर्माने से दण्ड का प्रावधान है। जिन्होंने बहिष्कृत किया उनके विरूद्ध प्रथम सूचना दर्ज कर व पृथक से धारा 151 दण्ड प्रक्रिया संहिता में कार्यवाही कर प्रकरण दर्ज कर अनावेदक को तत्काल गिरफ्तार किया जाना चाहिए। वहीं आवेदकों के गांव में कोटवार से मुनादी करवा कर उक्त बहिष्कार को अमान्य घोषित कराए जाना चाहिए।
सत्यम शिवम् सुन्दरम शुक्ला, अधिवक्ता, जिला न्यायालय कबीरधाम