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सभी तैयारी पूरी हो गई और बारात भी आने वाली थी, फिर क्या हुआ कि शादी नहीं हुई

locationकवर्धाPublished: May 10, 2019 09:39:07 pm

कबीरधाम जिले के ग्राम अमलीडीह में शादी की सभी रस्में लगभग पूरी हो गई थी। मंडप सज गया था, वधुओं के हाथों में मेंहदी लग चुकी थी और बारात भी आने वाली थी। ऐन वक्त पर सरकारी अधिकारी पहुंचे और सभी तैयारी धरी रह गई। दरअसल वहां दो बच्चियों को बालिका वधु बनाने की पूरी तैयारी कर ली गई थी।

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सभी तैयारी पूरी हो गई और बारात भी आने वाली थी, फिर क्या हुआ कि शादी नहीं हुई

कवर्धा@Patrika. कबीरधाम जिले के ग्राम अमलीडीह में शादी की सभी रस्में लगभग पूरी हो गई थी। मंडप सज गया था, वधुओं के हाथों में मेंहदी लग चुकी थी और बारात भी आने वाली थी। ऐन वक्त पर सरकारी अधिकारी पहुंचे और सभी तैयारी धरी रह गई। दरअसल वहां दो बच्चियों को बालिका वधु बनाने की पूरी तैयारी कर ली गई थी। यदि अधिकारी समय पर नहीं पहुंचते तो दो नाबालिगों की शादी हो गई होती। बाल विवाह होने की सूचना मिलते ही बाल विवाह रोकथाम समिति द्वारा तत्काल मौके पर पहुंचकर गांव के दो नाबालिगों का बाल विवाह रुकवाया।
मार्कशीट में उनकी उम्र बालिग नहीं थी

बाल विवाह रोकथाम समिति द्वारा ग्राम अमलीडीह में पहुंचकर दो परिवार में हो रही शादी को रुकवाया गया।बालिकाओं की मार्कशीट देखी गई, जिसमें उनकी उम्र बालिग नहीं थी। इस पर बालिका के माता-पिता और परिजनों के साथ चर्चा कर समझाइश दी गई। शासन ने बाल विवाह प्रतिषेध अधिनियम 2006 के अनुसार 21 से कम उम्र के लड़के और 18 से कम उम्र की लड़की के विवाह को प्रतिबंधित किया है। बाल विवाह केवल एक सामाजिक बुराई ही नहीं अपितु कानूनन अपराध भी है। उन्हें समझाया गया कि अपने पुत्र व पुत्री का विवाह योग्य उम्र होने पर ही विवाह सम्पन्न कराए। वहीं परिजनों से शपथ पत्र भरवाया गया कि वह सही उम्र होने के बाद ही बालिका की शादी कराएंगे। अप्रैल से अब तक समिति द्वारा पांच बाल विवाह रुकवाया जा चुका है।
बाराती और पंडित को भी हो सकती है सजा
इसके चलते बाल विवाह करने वाले बालक-बालिका के माता पिता, सगे संबंधी, बाराती यहां तक कि विवाह कराने वाले पुरोहित पर भी कानूनी कार्रवाई की जा सकती है। इस नियम का उल्लंघन करने पर 2 वर्ष तक के कठोर कारावास या फिर एक लाख रुपए तक का जुर्माना हो सकता है। इस तरह समझाईश देकर बाल विवाह रुकवाया गया।

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