आप ऐसे पहचानिए केमिकलयुक्त केला को
ठेलों पर लटक रहे केले, नीचे का हिस्सा पीला, फिर हल्का हरा और ऊपर गहरा हरा दिखाई देता है मतलब समझ जाए कि यह केमिकल से ही पकाया केला है। इससे दूर रहने की आवश्यकता है। लोगों (People) की सेहत बिगाडऩे के लिए कच्चे केलों को रसायनिक क्रिया से पकाने का खेल अब कवर्धा शहर में ही शुरू हो चुका है।
इथरैल लिक्विड (Etherl liquid) का उपयोग
केमिकल दवाई इथरैल जो लिक्विड के रूप में मिलता है। इस लिक्विड को ड्रम या डब में मौजूद पानी मिला दिया जाता है। इस घोल में केला को एक बार डुबाकर निकाल दिया जाता है और हवा में सूखने के लिए छोड़ दिया जाता है। इसके लिए एसी का उपयोग किया जाता है। एसी से ठंडकता पाकर केला तेजी से पकता है।
स्थानीय केला बाहर भेज रहे
जिले में पिछले वर्ष 910 हेक्टेयर में केला लगाया गया, जिससे कि 16 हजार 708 मीट्रिक टन केला उत्पादन हुआ। इनता केला होने के बाद भी यह केले बाहर भेजे जाते हैं और बाहर के केले यहां पर सप्लाई किया जाता है। अधिकतर व्यापारी केला का सौदा सीधे किसान की बाड़ी से करते हैं। ट्रक भेजकर बाड़ी में भरा जाता है और अन्य जिला भेज दिया जाता है। वहीं कवर्धा में जो केला बिकता है वह अन्य जिले व राज्य से लाया जाता है।
केमिकलयुक्त टैबलेट
केला को पकाने के लिए केमिकलयुक्त टैबलेट भी आता है। किसी कमरे में केलों को फैला दिया जाता है। इन केलों के बीच ही एक कुछ टैबलेट रख दिए जाते हैं। टैबलेट से गंध निकलती है जो केलों को पकाने का काम करती है। हालांकि इस टैबलेट का उपयोग कवर्धा में कम किया जाता है।
काफी नुकसानदायक
केला पकाने में जो रसायनिक क्रिया का उपयोग किया जाता है मानव शरीर के लिए काफी नुकसानदायक है। मुख्य रूप लिक्विड से पकाया केला ज्यादा हानिकारक है। क्योंकि पूरा केला ही लिक्विड में डूबाया जाता है जिससे कि यह पूरी तरह से केमिकलयुक्त हो जाता है, जो शरीर के लिए काफी नुकसानदायक है।
डॉ. बीपी त्रिपाठी, वरिष्ठ कृषि वैज्ञानिक, कृषि महाविद्यालय कवर्धा