दरअसल, कौशांबी में समाजवादी पार्टी के वरिष्ठ नेता स्वामी प्रसाद मौर्य ने जगद्गुरु रामभद्राचार्य की स्वास्थ्य पर टिप्पणी की। उन्होंने कहा, “अगर राम में वो ताकत होती जो विज्ञान में है, तो विज्ञान की शरण में ना जाकर रामभद्राचार्य राम के यहां चले गए होते। अगर वे सच्चे भक्त होते तो अस्पताल में नहीं आश्रम में होते।” आपको बता दें कि इससे पहले स्वामी प्रसाद मौर्य को कौशांबी में विरोध का सामना करना पड़ा था। हिंदू जागरण मंच के लोगों को मौर्य को काले झंडे दिखाए।
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“जाति-पाति इस देश के लिए जहर”रविवार यानी 4 फरवरी को स्वामी प्रसाद मौर्य कौशांबी में आयोजित चतुर्थ राष्ट्रीय बौद्ध कार्यक्रम में बतौर मुख्य अतिथि शामिल हुए। इस दौरान उन्होंने जातिवाद को लेकर कहा, “हजारों साल से यह देश गुलाम रहा, इसीलिए की जिन्होंने इंसानों को बांटा, वर्ण में बांटा, जाति में बांटा, ऊंच-नीच में बांटा, छुआछूत में बांटा… जाति-पांति, छुआछूत, ऊंच-नीच का जो विषमतापूर्ण समाज है, वह इस देश के लिए कैंसर है, जाति-पाति इस देश के लिए जहर है।”
हिंदू जागरण मंच के लोगों के द्वारा काला झंडा दिखाए जाने पर स्वामी प्रसाद मौर्य ने प्रतिक्रिया दी। उन्होंने कहा, “जिसके दिल में काला है, जिसका दिल काला है, जिसका मन काला है, जिसका विचार काला है, वह काला झंडा लेकर तो आएगा ही।”