इनके पिता तीन बार रह चुके हैं विधायक कांग्रेस के नवनियुक्त जिला अध्यक्ष अरुण विद्यार्थी के पिता ईश्वर शरण विद्यार्थी मंझनपुर विधानसभा से तीन बार विधायक रहे हैं। 1994 में विधानसभा चुनाव के समय उनका निधन हुआ तो यहां पर उपचुनाव हुआ। जिस पर बसपा के आरके चौधरी ने जीत हासिल किया था। उसके बाद से मंझनपुर में कांग्रेस के पतन का जो दौर शुरू हुआ वह आज तक जारी है। अरुण विद्यार्थी को पार्टी के शीर्ष नेताओं ने कौशांबी जिला अध्यक्ष की बागडोर क्या सोच कर सौंपा है, यह खुद कांग्रेसी ही नहीं बता पा रहे हैं।
प्रयागराज के रहने वाले हैं अरूण विद्यार्थी
अरुण विद्यार्थी प्रयागराज में रहकर पले व बढ़े हैं। वहीं पर इनकी शिक्षा-दीक्षा भी हुई है। शिक्षा ग्रहण करने के बाद अरुण विद्यार्थी इलाहाबाद उच्च न्यायालय में वकालत करने लगे। कहने भर को कौशाम्बी जिला मुख्यालय के नेता नगर में आवास है। राजनीति में कभी सक्रिय नही रहे हैं फिर भी कौशांबी जिला युवक कांग्रेस कमेटी में उपाध्यक्ष भी बनाए गए थे। हालांकि कभी भी किसी भी राजनैतिक समारोह में अरुण विद्यार्थी का चेहरा किसी कांग्रेसी ने देखा नहीं है। जिला अध्यक्ष बनाए जाने के बाद बुधवार को अरुण विद्यार्थी जनपद मुख्यालय पहुंचे तो चंद कांग्रेसी उनके स्वागत के लिए जुटे। कौशांबी जनपद में कांग्रेस की हालत बेहद पतली है। नब्बे के दशक के बाद यहां पर कोई भी कांग्रेसी उम्मीदवार न तो विधानसभा का चुनाव जीता है और ना ही संसदीय चुनाव में कुछ खास प्रदर्शन कर सका है। समाजवादी पार्टी के साथ पिछले विधानसभा चुनाव में गठबंधन को छोड़कर बाकी के चुनाव में कांग्रेस के उम्मीदवारों को जमानत जब तक करानी पड़ी है। ऐसे में अरुण विद्यार्थी को कौशांबी जिला कांग्रेस का अध्यक्ष बनाया गया है। जनपद के कांग्रेसियों में इस बात की चर्चा है कि जब जिले में रहने वाले कांग्रेस के कद्दावर नेताओं ने पूरी ताकत झोंक पार्टी को ऊंचाइयों पर नहीं ले जा सके हैं तो प्रयागराज शहर में रहने वाले अरुण विद्यार्थी कौशांबी में पार्टी को कैसे ऊंचाइयों पर ले जाएंगे। फिलहाल कांग्रेस का एक बड़ा गुट नए जिलाध्यक्ष की ताजपोशी के बाद से ही उनका विरोध करने लगा है। हालांकि यह बात अभी खुलकर सामने नहीं आई है। अब देखना यह है प्रयागराज में पले व बढ़े और वहीं पर वकालत करने वाले अरुण विद्यार्थी कौशांबी में कांग्रेस की डूबती नैया को कैसे पार लगा पाते हैं।
अरुण विद्यार्थी प्रयागराज में रहकर पले व बढ़े हैं। वहीं पर इनकी शिक्षा-दीक्षा भी हुई है। शिक्षा ग्रहण करने के बाद अरुण विद्यार्थी इलाहाबाद उच्च न्यायालय में वकालत करने लगे। कहने भर को कौशाम्बी जिला मुख्यालय के नेता नगर में आवास है। राजनीति में कभी सक्रिय नही रहे हैं फिर भी कौशांबी जिला युवक कांग्रेस कमेटी में उपाध्यक्ष भी बनाए गए थे। हालांकि कभी भी किसी भी राजनैतिक समारोह में अरुण विद्यार्थी का चेहरा किसी कांग्रेसी ने देखा नहीं है। जिला अध्यक्ष बनाए जाने के बाद बुधवार को अरुण विद्यार्थी जनपद मुख्यालय पहुंचे तो चंद कांग्रेसी उनके स्वागत के लिए जुटे। कौशांबी जनपद में कांग्रेस की हालत बेहद पतली है। नब्बे के दशक के बाद यहां पर कोई भी कांग्रेसी उम्मीदवार न तो विधानसभा का चुनाव जीता है और ना ही संसदीय चुनाव में कुछ खास प्रदर्शन कर सका है। समाजवादी पार्टी के साथ पिछले विधानसभा चुनाव में गठबंधन को छोड़कर बाकी के चुनाव में कांग्रेस के उम्मीदवारों को जमानत जब तक करानी पड़ी है। ऐसे में अरुण विद्यार्थी को कौशांबी जिला कांग्रेस का अध्यक्ष बनाया गया है। जनपद के कांग्रेसियों में इस बात की चर्चा है कि जब जिले में रहने वाले कांग्रेस के कद्दावर नेताओं ने पूरी ताकत झोंक पार्टी को ऊंचाइयों पर नहीं ले जा सके हैं तो प्रयागराज शहर में रहने वाले अरुण विद्यार्थी कौशांबी में पार्टी को कैसे ऊंचाइयों पर ले जाएंगे। फिलहाल कांग्रेस का एक बड़ा गुट नए जिलाध्यक्ष की ताजपोशी के बाद से ही उनका विरोध करने लगा है। हालांकि यह बात अभी खुलकर सामने नहीं आई है। अब देखना यह है प्रयागराज में पले व बढ़े और वहीं पर वकालत करने वाले अरुण विद्यार्थी कौशांबी में कांग्रेस की डूबती नैया को कैसे पार लगा पाते हैं।