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यूपी के इस जिले में अवैध खनन से होता है करोड़ों के राजस्व का नुकसान, CBI जांच के बाद हड़कंप

locationकौशाम्बीPublished: Jan 11, 2019 09:29:48 am

Submitted by:

sarveshwari Mishra

अवैध खनन व परिवहन से शासन को करोड़ों का राजस्व नुकसान चार की जगह बारह सौ फुट मोरंग बालू लाद कर फर्राटा भरते हैं वाहन

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Sand mining

कौशांबी. अवैध मोरंग बालू खनन के जरिये सरकार को हर महीने करोड़ों रुपये की आर्थिक चोट बालू माफिया पहुंचा रहे हैं। तीन से चार सौ घन फुट के रवन्ना पर एक हजार ग्यारह सौ फुट मोरंग बालू प्रति ट्रक बेंची जाती है। हैरानी की बात तो यह कि मोरंग बालू के अवैध खनन व परिवहन का यह शातिराना खेल अधिकारियों के नाक के नीचे होता है। खनन व परिवहन विभाग के साथ मिलकर जिला प्रशासन कार्यवाही के नाम पर महज खानापूर्ति कर रहा है। जिले के दक्षिणी सीमा पर बहाने वाली यमुना नदी की तलहटी से मोरंग बालू जिसे स्थानीय भाषा मे लाल सोना कहा जाता है निकलती हैं। मोरंग बालू को बेचने के लिए एक-एक घाट का कई-कई करोड़ रुपये मे पट्टा आवंटित किया जाता है| जिले मे इस समय ग्यारह मोरंग बालू घाटों पर खनन का काम चालू है। सरकारी नियमों के अनुसार एक दस ट्रक मे चार सौ घन फुट मोरंग बालू लादा जा सकता है। रवन्ना (मोरंग बालू परिवहन का परमिट) मे सरकारी नियमों के तहत ही मोरंग बालू की मात्रा दर्ज की जाती है लेकिन हकीकत मे ट्रक मे एक हजार से ग्यारह सौ फुट बालू लादी जाती है। सरकारी रेट के हिसाब से अधिकतम चार हजार की बालू बारह से पंद्रह हजार रुपये मे बेची जाती है। इसी कारण पट्टाधारक अधिक मोरंग बालू ट्रकों व दूसरे वाहनों मे लाद कर बालू बेंचते हैं। इस गोरखधंधे मे सरकार को जहां हर महीने एक से डेढ़ करोड़ का नुकसान उठाना पड़ता है तो वहीं मोरंग बालू माफियाओं को दो से ढाई करोड़ रुपये का फायदा होता है। इसी फायदे के लिए अवैध खनन व ओवरलोडिंग की जाती है।

मोरंग बालू माफियाओं का यह शातिराना खेल अधिकारियों के नाक के नीचे होता है लेकिन सभी हाथ पर हाथ धरे बैठे हुये हैं। कहने को खनन व परिवहन विभाग के साथ मिलकर जिला प्रशासन अवैध खनन व परिवहन के खिलाफ कार्यवाही करता है लेकिन इससे माफियाओं के कारोबार पर कुछ खास असर नहीं पड़ता। हफ्ते दस दिन मे होने वाली कार्रवाई से पहले ही माफिया चौकन्ने हो जाते हैं। देखना यह है कि सीबीआई जांच शुरू होने के बाद मोरंग बालू कारोबारियों मे प्रशासनिक खौफ काम करता है या फिर पुराने ढर्रे पर ही अवैध खनन होरा रहेगा।

BY- Shiv nandan Sahu

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