कौशाम्बी. यूपी में आलू के किसानों पर दोहरी मार पड़ रही है। आलू पर छाई मंदी के चलते करोड़ों रुपये की फसल कोल्ड स्टोर में डम्प है और किसान हिम्मत नहीं कर पा रहे हैं कि वह उस आलू को निकालकर बाजार में लाएं। कोल्ड स्टोर से आलू निकालने पर उन्हें दोहरा नुकसान है। प्रति बोरी किसानों को जितना मूल्य बाजार में मिल रहा है उसकी पांचगुनी धनराशि उन्हें प्रति बोरी किराये के रूप में कोल्ड स्टोर को अदा करनी है। हालात इतने बदतर हो चुके हैं कि किसानों ने कोल्ड स्टोर में रखी अपनी आलू की फसल को छोड़ दिया है और खुद कोल्ड स्टोर मालिक 30 से 40 रुपये प्रति बोरी की कीमत पर आलू बेचकर अपने किराए का छठवां भाग ही वसूल कर पा रहे हैं। ये स्थिति कहीं और नहीं बल्कि डिप्टी सीएम केशव मौर्य के जिले कौशाम्बी के आलू किसानों की है। योगी सरकार बनने के बाद पहली प्रेस कांफ्रेंस में ही डिप्टी सीएम ने आलू के किसानों की बेहतरी के लिये काम करने का दावा किया था। कौशाम्बी जिले के कोल्ड स्टोरेज में किसानों का 14 मीट्रिक टन से अधिक आलू डम्प है। बाजार में छाई मंदी के चलते आलू इतना सस्ता हो गया है कि किसान कोल्ड स्टोरेज से आलू निकासी करने से हाथ खड़े कर चुके हैं। उधर आलू के किसानों की करोड़ों की फसल का मामला है तो इधर कोल्ड स्टोरेज मालिकों के लाखों रुपये किराए के भी फंसे हैं। जब तक किसान आलू निकालेंगे नहीं स्टोरेज मालिकों को उनका किराया नहीं मिलेगा। किराया वसूलने के लिये मालिकों ने किसानों के आलू को खुद ही बेचना शुरू कर दिया है तब भी उन्हें महज 30 से 40 रुपये प्रति बोरी ही दाम मिल पा रहा है, जबकि प्रति बोरी किराया 220 रुपये होता है। इतना सस्ता आलू होने के बावजूद उन्हें खरीदार नहीं मिल रहे। अब तो स्टोरेज मालिकों ने आलू बाहर निकलवाकर फेकना भी शुरू कर दिया है।
कौशाम्बी. यूपी में आलू के किसानों पर दोहरी मार पड़ रही है। आलू पर छाई मंदी के चलते करोड़ों रुपये की फसल कोल्ड स्टोर में डम्प है और किसान हिम्मत नहीं कर पा रहे हैं कि वह उस आलू को निकालकर बाजार में लाएं। कोल्ड स्टोर से आलू निकालने पर उन्हें दोहरा नुकसान है। प्रति बोरी किसानों को जितना मूल्य बाजार में मिल रहा है उसकी पांचगुनी धनराशि उन्हें प्रति बोरी किराये के रूप में कोल्ड स्टोर को अदा करनी है। हालात इतने बदतर हो चुके हैं कि किसानों ने कोल्ड स्टोर में रखी अपनी आलू की फसल को छोड़ दिया है और खुद कोल्ड स्टोर मालिक 30 से 40 रुपये प्रति बोरी की कीमत पर आलू बेचकर अपने किराए का छठवां भाग ही वसूल कर पा रहे हैं। ये स्थिति कहीं और नहीं बल्कि डिप्टी सीएम केशव मौर्य के जिले कौशाम्बी के आलू किसानों की है। योगी सरकार बनने के बाद पहली प्रेस कांफ्रेंस में ही डिप्टी सीएम ने आलू के किसानों की बेहतरी के लिये काम करने का दावा किया था। कौशाम्बी जिले के कोल्ड स्टोरेज में किसानों का 14 मीट्रिक टन से अधिक आलू डम्प है। बाजार में छाई मंदी के चलते आलू इतना सस्ता हो गया है कि किसान कोल्ड स्टोरेज से आलू निकासी करने से हाथ खड़े कर चुके हैं। उधर आलू के किसानों की करोड़ों की फसल का मामला है तो इधर कोल्ड स्टोरेज मालिकों के लाखों रुपये किराए के भी फंसे हैं। जब तक किसान आलू निकालेंगे नहीं स्टोरेज मालिकों को उनका किराया नहीं मिलेगा। किराया वसूलने के लिये मालिकों ने किसानों के आलू को खुद ही बेचना शुरू कर दिया है तब भी उन्हें महज 30 से 40 रुपये प्रति बोरी ही दाम मिल पा रहा है, जबकि प्रति बोरी किराया 220 रुपये होता है। इतना सस्ता आलू होने के बावजूद उन्हें खरीदार नहीं मिल रहे। अब तो स्टोरेज मालिकों ने आलू बाहर निकलवाकर फेकना भी शुरू कर दिया है।