scriptvideo: बाघों के लिए योगेंद्र मां तो नहीं पर मां से कम भी नहीं | Yogendra mother for tigers, but not less than mother | Patrika News

video: बाघों के लिए योगेंद्र मां तो नहीं पर मां से कम भी नहीं

locationकटनीPublished: Apr 28, 2019 07:23:45 am

वाचटॉवर में उपर ड्यूटी और नीचे पलते रहे बाघ शावक, ऐसी हुई दोस्ती कि विश्वास करना मुश्किल, बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व में इंसान और बाघ के बीच दोस्ती का अनूठा उदाहरण

Yogendra mother for tigers, but not less than mother

बाघों के लिए योगेंद्र मां तो नहीं पर मां से कम भी नहीं

राघवेंद्र चतुर्वेदी@कटनी. बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व में बमेरा डैम के समीप बने वॉचटावर में ड्यूटी कर रहे वनकर्मी योगेंद्र सिंह, उसी जंगल में बमेरा बाघिन द्वारा डेढ़ साल पहले एक दिन की उम्र में छोड़े गए दो बाघ शावकों के लिए मां तो नहीं हैं पर माँ से कम भी नहीं हैं। जंगल में इंसानों का बढ़ता दखल और मानव-वन्यप्राणी द्वंद्व के बीच हम आपको बता रहे बाघ शावक और इंसान के बीच दोस्ती की अनूठी कहानी।
करीब डेढ़ साल पहले बमेरा वाली बाघिन अपने एक दिन के दो शावकों को छोड़कर बाघ के संपर्क में चली गई। टाइगर रिजर्व के अधिकारियों को इसकी जानकारी मिली और बाघ शावकों को जंगल से लाकर पहले ताला रेंज स्थित एफडी सुइट में बाघ शावकों के लिए बनाए गए विशेष कक्ष में रखा। कुछ दिन यहां रखने के बाद दोनों शावकों को बमेरा डैम के समीप स्थित वॉच टावर में तार की फेंसिग लगाकर शिफ्ट कर दिया।
वॉचटावर में उपर वनकर्मी योगेंद्र सिंह अपनी ड्यूटी करते और उसी भवन में नीचे रह रहे दोनों शावकों की देखभाल भी करते। करीब डेढ़ साल तक योगेंद्र ने बाघ शावकों की देखभाल की। मां की तरह पाला, पोषा बड़ा किया। इतना होने के बाद भला बाघ के बच्चे योगेंद्र सिंह को मां क्यों न मानें। यही कारण है कि बड़े होने के बाद भी खूंखार बाघ योगेंद्र को अपना हमदर्द मानते हैं।
योगेंद्र और बाघों बीच अटखेलियां देखकर बिल्कुल भी विश्वास नहीं होगा कि कोई इंसान बाघ से ऐसे भी खेल सकता है। इन बाघों के लिए योगेंद्र मां तो नहीं हैं, पर माँ से कम भी नहीं हैं।
खासबात यह है कि वीडियो दो हिस्सों में बना है। इसके बाद का भाग सोशल मीडिया में वायरल हुआ। बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व पर आरोप लगे कि यहां वन्यप्राणियों की सुरक्षा से खिलवाड़ हो रहा है। इस बीच बमेरा डैम के समीप बना वॉचटावर का क्षेत्र भी बढ़ते बाघों के लिए कम पडऩे लगा और टाइगर रिजर्व प्रबंधन ने इसी माह अप्रैल के दूसरे सप्ताह में दोनों बाघों को मगधी रेंज पर बने बहेरहा इंक्लोजर (बिन माँ के बाघ शावकों के देखभाल के लिए बनाया गया बाड़ा) में शिफ्ट कर दिया।
बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व के फील्ड डायरेक्टर एके जोशी बताते हैं कि योगेंद्र सिंह बाघ के शावकों को एक माह की उम्र से पाल रहे हैं, इस कारण इनके बीच आत्मीयता का संबंध है। सोशल मीडिया में जैसा प्रचारित किया जा रहा है वैसा कुछ भी नहीं है। बाघ शावकों की उम्र अधिक होने के बाद अब उन्हे वाइल्ड व्यवहार में बदला जाएगा। इसके लिए इंक्लोजर में शिफ्ट किया गया है। यहां रह रहे बाघों को लेकर पूरा प्रयास किया जाता है कि वे मनुष्यों के संपर्क में नहीं आएं।

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