पांच साल में नहीं बनी सौ किलोमीटर सड़क, यहां तो विकास का रथ भी फंस गया था
-शाम का समय है और जैसे हम एनटीपीसी विंध्यनगर की ओर बढ़ते हैं तो लगता है विंध्याचल पर्वत की पहाडिय़ों से आने वाली हवा का मिजाज भी इस बार बदल गया है। विंध्यनगर से लौटकर बाजार पहुंचने पर मस्जिद के सामने ट्रेवल्स की दुकान के बाहर बैठे लोगों की चर्चा में हम भी शामिल हो गए। राकेश सिंह बोले सिंगरौली को संभागीय मुख्यालय रीवा से जोडऩे वाली 100 किलोमीटर की सड़क पांच साल में नहीं बनी। यहां खराब सड़क पर तो विकास रथ भी फंस गया था। संतोष जायसवाल बोले प्रभारी मंत्री राजेंद्र शुक्ला जब भी सिंगरौली आये हर बार भाषण में बोले चार माह में सड़क बन जाएगी। पांच साल से वे कहते रहे पर सड़क नहीं बनी। निर्माण की गति ऐसी है कि आगे पांच साल और लग जाएंगे। क्या यही विकास है। हरप्रीत सिंह बोले सिंगरौली में खराब सड़क की समस्या इतनी विकराल है कि यहां के लोग शिक्षा से लेकर चिकित्सा के लिए ट्रेन से जबलपुर और भोपाल व सड़क मार्ग से बनारस जाना ज्यादा पसंद करते हैं। सिंगरौली से सीधी-रीवा जाने के लिए बरगवां, देवसर होते हुए 100 किलोमीटर वाली सड़क को छोड़कर सरई होते हुए 50 किलोमीटर अतिरिक्त दूरी तय करना लोग ज्यादा मुनासिफ समझते हैं। राशिद खान कहते हैं यहां एक भी ऐसा कॉलेज नहीं है, जहां पढ़ाई कर बच्चे यहां की औद्योगिक इकाइयों में नौकरी पा सकें। सिंगरौली में हजारों लोगों को रोजगार मिला है। इसमें 30 प्रतिशत कर्मचारी भी यहां के मूलत: रहवासी नहीं होंगे। सिंगरौली में बनने वाली बिजली से पूरा देश रोशन है और यहां के बच्चों का भविष्य अंधकार में जा रहा है। दस साल से माइनिंग इंजीनियरिंग कॉलेज धनबाद का सेंटर खोलने की बात हो रही है। अब तक नहीं खुली।
सिंगरौली औद्योगिक क्षेत्र है तो हम आगे बढ़े यह पता लगाने की पावर हाउस के आसपास बसे गांव में लोगों का सियासी मुद्दा क्या है। नौगढ़ व हर्रहवा गांव में व्यवस्था को लेकर ग्रामीणों में गुस्सा तो है, बस मुद्दे बदल गए हैं। हर्रहवा के रामशाह बोले रिलायंस पावर हाउस प्रोजेक्ट के मकान शिफ्टिंग में ठेकेदारी में काम करवाया। 7 लाख 30 हजार रुपये का भुगतान बकाया है। कंपनी ने देने से मना कर दिया। कलेक्टर के पास गए तो साहब ने कहा सिविल में केस लगा दो। इसके लिए 90 हजार रुपये लगेंगे। कलेक्टर को आमलोगों की परेशानी को भी तो संजीदगी से लेना चाहिए। इसी गांव के रामसाकेत कहते हैं कन्वेयर बेल्ट के कारण रात में नींद नहीं आती। अधिकारी को परेशानी बताओ तो कहते हैं घर दूर बनवा लो। कुछ दूर और आगे जाने पर चांपा मोहल्ले में रहने वाली अलबेली और सीता बाई कहती हैं बच्चे गंदा पीकर बीमार पड़ रहे हैं। स्कूल नहीं जाने से पढ़ाई पर असर। समस्या बताओं को अधिकारी कहते हैं हमारे कार्यक्षेत्र का मामला नहीं है। महिलाएं कहतीं हैं अधिकारी तो सुनते नहीं और नेताओं को बताओ तो बस दिखवाने की बात कहकर चले जाते हैं। इस बार चुनाव में हम भी दिखवाने का ही काम करेंगे।
यह भी जानिये
– सिंगरौली जिले में तीन विधानसभा हैं। आरक्षित सीट चितरंगी में 235310, अनारक्षित सिंगरौली में 219869 और आरक्षित देवसर में 219106 वोट हैं। तीनों ही विधानसभा में 2013 में क्रमश: 212697, 204748 व 201800 कुल मतदाता संख्या रही।
– सिंगरौली में बीते दो विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के वोट में ज्यादा उछाल आया है। 2008 विधानसभा में कांग्रेस प्रत्याशी 14462 वोट मिला तो 2013 में बढ़कर भुवनेश्वर सिंह को 37733 मत मिले। दोनों ही चुनाव में भाजपा से प्रत्याशी रामलल्लू वैश्य रहे। 2008 में उन्होंने 23 हजार 90 वोट से जीत दर्ज की तो 2013 में जीत का आंकड़ा घटकर 10560 वोटों तक सिमट गया।
– चितरंगी में 2008 में भाजपा जीती तो 2013 में यहां से कांग्रेस की सरस्वती सिंह जीतीं।
– देवसर में 2008 और 2013 में भाजपा से क्रमश: रामचरित्र और राजेंद्र मेश्राम ने जीत दर्ज की।