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कटनी-सिगरौली रेलखंड पर ट्रेन हादसे का सबसे बड़ा खुलासा, देखें वीडियो

रातभर यात्रियों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया, सुबह ५ बजे से शुरू हुआ , बोगियों को पटरियों पर लाने का काम, १५ घंटे में बहाल हुआ यातायात

कटनीApr 16, 2018 / 12:56 pm

dharmendra pandey

passenger train derailed in Katni

passenger train derailed in Katni

कटनी. कटनी-सिगरौली रेलखंड पर सल्हना से पिपरियाकला स्टेशन के बीच हादसे का शिकार हुई कटनी-चौपन पैसेंजर के कारण रेलखंड पर यातायात १५ घंटे तक पूरी तरह से ठप रहा। डीआरएम डॉ. मनोज सिंह ने रविवार को घटना की जांच के आदेश दिए। घटना के बाद रातभर पुलिस व रेलवे अधिकारी ट्रेन में सवार यात्रियों को सुरक्षित बाहर निकालने व गंतव्य तक पहुंचाने में जुटे रहे। सुबह ५ बजे से बोगियों को ट्रैक पर लाने के लिए जेसीबी, क्रेन और पोकलीन मशीनों से कार्य शुरू हुआ। करीब ६ घंटे की मशक्कत के बाद अफसर ५ बोगियों में से २ को ट्रैक पर ला सके। तीन अन्य बोगियों ज्यादा क्षतिग्रस्त होने के कारण ट्रैक के हटाते हुए अलग किया गया। ट्रैक मेंटनेंस के बाद १.१५ बजे ट्रेनों का आवागमन शुरू किया गया। रेल यातायात बधित होने के कारण यात्री ट्रेनें बुरी तरह से प्रभावित हुई। जबलपुर-सिंगरौली इंटरसिटी, कटनी-चोपन पैसेंजर, भोपाल-सिंगरौली सुपरफास्ट घंटों देरी से चलीं। जबलपुर-हावड़ा शक्तिपुंज सुपरफास्ट को रूट परिवर्तित कर चलाया गया। एनकेजे से होकर इस रूट पर प्रतिदिन करीब ४५ मालगाडिय़ां गुजरती है। हादसे की वजह से इन मालगाडिय़ों को अलग-अलग स्थानों पर खड़ा किया गया। सुधारकार्य के दौरान डीआरएम, एडीआरएम अंजूमोहन पुरिया सहित रेलवे के आला-अधिकारी मौजूद रहे।

फिर ट्रैक से उतर गईं बोगियां
कटनी-चौपन पैसेंजर की बेपटरी हुई बोगियों को ट्रैक पर लाने के बाद बरही-खन्नाबंजारी स्टेशन पर सुरक्षित रखने के लिए अफसरों ने इंजन लगाकर दोनों बोगियों रवाना की। ये बोगियां स्टेशन पहुंचने के पहले ही हादसे का शिकार हो गई। एक बोगी ट्रैक से उतर गई। इस दौरान भी सुधारकार्य के लिए अफसर जुटे रहे।

पत्रिका एक्सक्लूसिव रिपोर्ट
पहले से ही फैक्चर था ट्रैक
कटनी. गाड़ी संख्या ५१६७५ कटनी-चोपन पैसेंजर ट्रेन हादसे की मुख्य वजह रेलवे अफसरों की लापरवाही व रेलवे ट्रैक का पहले से ही क्षतिग्रस्त होना सामने आया है। जिस स्थान पर पटरी टूटने की वजह से ड्रेलमेंट हुआ वह ट्रैक पहले से ही फैक्चर था। फैक्चर ट्रैक से ही कई दिनों से ट्रेन गुजर रही थीं। बीती रात जब फैक्चर ट्रैक ट्रेन का वजन सहने में नाकाम रहा तो पटरी टूटकर अलग हो गई। ट्रैक की मरम्मत की गई लापरवाही का आलम यह था कि पटरी तीन स्थानों से टूटकर अलग हुई। देररात ट्रैक की मरम्मत में जुटे अफसरों ने बताया कि पटरी टूटने के स्थान पर ही लंबे समय से ट्रैक फ्रैक्चर था और उस पर से जबलपुर-सिंगरौली इंटरसिटी, जबलपुर-हावड़ा शक्ति पुंज, कटनी-चोपन पैसेंजर, भोपाल-सिंगरौली सुपरफास्ट और सिंगरौली स्थित पावर हाउस में कोयला लेकर जाने वाली माल गाडिय़ां लंबे समय से गुजर रही थीं। अफसरों ने बताया कि पेट्रोलिंग के दौरान यदि कर्मचारी इस फैक्चर को देख लेते व सुधारकार्य कर दिया जाता तो यह हादसा नहीं होता।

 

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डेढ़ माह से बंद पड़ी पेट्रोलिंग
ट्रेन हादसे की दूसरी मुख्य वजह सेक्शन में ट्रैक की पेट्रोलिंग न होना भी बताई जा रही है। सूत्रों के अनुसार २८ फरवरी से नाइट पेट्रोलिंग बंद है। सिर्फ दिन में होती है वह भी सिर्फ यह देखा जा रहा था कि रेल पथ उठा हुआ या फिर आड़ा-तिरछा तो नहीं है।

ट्रेन हादसे पर डीआरएम डॉ. मनोज सिंह से सीधी बात
– हादसे की मुख्य वजह क्या है?
डीआरएम- संभवत: फै्रक्चर व ट्रैक टूटने की वजह से ड्रेलमेंट हुआ है, जांच के बाद कारण सामने आ सकेंगे।
– बताया जा रहा है कि ट्रैक में पहले से ही लंबे समय से फैक्चर था।
डीआरएम-फिलहाल यह जांच का विषय है, यदि ऐसी लापरवाही सामने आई तो कड़ी कार्रवाई करेंगे।
– पिछले डेढ़ माह से ट्रैक की रात में पेट्रोलिंग नहीं हो रही है।
डीआरएम- ऐसी जानकारी सामने आई है, इसकी जांच करवा रहे हैं।

चार घंटे तक यात्रियों का किया इंतजाम फिर ट्रैक बहाल करने शुरू हुआ काम ?
कटनी. बीती रात १०.२० बजे कटनी-चौपन पैसेंजर ट्रेन के दुर्घटनाग्रस्त होने के बाद रात करीब २ बजे तक यात्रियों को सुरक्षित बाहर निकालने रेलवे अधिकारी व जिला प्रशासन मशक्कत करता रहे। दुर्घटनास्थल से यात्रियों को रवाना करने के बाद रेलवे का दल ट्रैक को बहाल करने जुट गया। लगभग १५ घंटे चले सुधारकार्य के बाद कटनी-सिंगरौली-चौपन रेलखंड आवागमन के लिए तैयार हुआ। धीरे-धीरे ट्रेनों की पासिंग शुरू की गई। रात करीब १ बजे डीआरएम डॉ. मनोज सिंह पहुंचे। पूरे घटनाक्रम बारीकी से मुआयना किया। इसके बाद एडीआरएम अंजूमोहन पुरिया, एरिया मैनेजर एनके राजपूत सहित रेलवे के ५० से अधिक अधिकारी व कर्मचारियों को ट्रैक को बहाल करने आदेश दिए। रात २ बजकर १० बजे से ट्रैक को ठीक करने ताबड़तोड़ कार्रवाई शुरू हुई। रविवार दोपहर १ बजे तक ट्रैक को ठीक कर दिया गया। इसके पूर्व जिस स्थान पर ट्रेन हादसे का शिकार हुई थी वहां टूटकर बिखरी पटरियों को रेलवे के जांच दल ने जब्त किया।

सिंगल ट्रैक के कारण हुई देरी
सिंगल ट्रैक होने के कारण सुधारकार्य में कर्मचारियों को परेशानियों का सामना करना पड़ा। तीन जेसीबी व क्रेन के सहारे पूरी तरह मिट्टी में धसी तीन बोगियों को ट्रैक से हटाकर अलग किया गया। अन्य दो बोगियों को जैक की मदद से वापस पटरी पर लाया गया। पुरानी पटरियों के स्थान पर नई पटरियां बिछाई गई व बेस की पिचिंग करवाई गई।

 

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ऐसे चला पूरा घटनाक्रम
– रात १०.२० बजे ट्रेन हादसे का शिकार हुई।
– ११ बजे सल्हना व पिपरिया से रेलवे स्टॉफ मौके पर पहुंचा।
-१२.०० बजे स्थानीय पुलिस अधिकारी व राजस्व अमला मौके पर पहुंचा।
– १२.१५ बजे रेलवे का रेस्क्यू दल मौके पर पहुंचा।
-रात १.५ मिनट पर घायल यात्रियों को लेकर रवाना हुई एआरटी ट्रेन व एंबुलेंस।
– १.३० बजे डीआरएम डॉ. मनोज सिंह घटनास्थल पर पहुंचे।
-१.५४ मिनट पर फिर पहुंची एआरटी ट्रेन।
— २.१० बजे से रेलवे अधिकारी व कर्मचारी ट्रैक पर पहुंचे।
-२.३९ मिनट पर चौपन की एआरटी ट्रेन सरई के लिए हुई रवाना।
– ३ बजे से अफसर टूटी पटरियां व ट्रैक की जांच में जुट गए। बोगियों की जांच भी शुरू हुई।
– सुबह ५.२० बजे से हल्का उजाला होने पर जेसीबी मशीन ट्रैक पर लाई गई और कार्य शुरू हुआ।
-६ बजे से ड्रोन कैमरे से रेलवे अधिकारियों ने कराई वीडियोग्राफी।
– ९ बजे तक जैक लगाकर ट्रैक से उतरी दो बोगियों को ट्रैक पर लाया गया।
– १०.१५ बजे से ट्रैक किनारे क्षतिग्रस्त पड़ी बोगियों को हटाने का कार्य शुरू हुआ।
-एनकेजे, साउथ, मुड़वारा से रेस्क्यू दल रात में ही पहुुंचा घटनास्थल पर।
– ११.३० बजे तक ट्रैक से तीनों बोगियों को हटाकर किनारे किया गया। ट्रैक की सफाई शुरू हुई।
– ११.४५ बजे इंजन मंगवाकर दो बोगियों को खन्नाबंजारी के लिए रवाना किया गया।
– इसी समय नई पटरियां बिछाने का कार्य शुरू हुआ।
– दोपहर १२.३० तक नई पटरी बिछा दी गई और मेंटनेंस शुरू किया गया।
– १.१५ बजे ट्रैक क्लीयर हुआ और मंडल को सूचना भेजी गई। ट्रेन यातायात शुरू हुआ।
– शाम ५.२० बजे डीआरएम अपनी टीम के साथ जबलपुर के लिए रवाना हुए।


रेस्क्यू की झलकियां
– डीआरएम डॉ. मनोज कुमार, एडीआरएम अंजू मोहन पुरिया सहित अन्य अधिकारी पूरे समय खड़े होकर कराया रेस्क्यू।
– हादसे के बाद तत्काल स्थापित किया संचार केंद्र, हेल्पलाइन नंबर जारी कर रेल अधिकारियों को दी गई अपडेट।
– हादसे के बाद सकुशल बचे यात्रियों में नहीं रखा खुशी का ठिकाना, मोबाइल पर अपनो व रिश्तेदारों को देते रहे जानकारी।
– घटना की सूचना मिलते ही वाहन बुक कर अपनों से मिलने पहुंचे लोग।
– – बरही तहसीलदार, एसडीओपी, बरही थाना प्रभारी, बड़वारा थाना प्रभारी सहित पुलिस अधिकारी मौके पर मौजूद रहे।
– लोगों का मानना था कि डिब्बे पटरी से उतरने के बाद धंस गए, यदि पलटते तो ५० फीट गहरी खाई में जाते और गंभीर हादसा होता।
– सुबह होते ही आसपास के गांवों से लोग यहां पहुंचे और भीड़ लग गई।

यात्रियों को बस, ट्रक, ट्रैक्टर और लोडर से भेजा गया गंतव्य तक
उमड़ार नदी से दो किमी दूरी पर बहिरघटा के पास हादसे की सूचना पाकर पुलिस, राजस्व व रेलवे के अधिकारी जहां मौके पर राहत बचाव में जुटे रहे वहीं रात २ बजे ट्रेन में सवार करीब एक हजार यात्रियों को गंतव्य तक भेजने के लिए वाहनों की समस्या खड़ी हो गई। पुलिस अफसरों ने आनन-फानन में बस, ट्रक, ट्रैक्टर और लोडर वाहनों की व्यवस्था की। यात्रियों को उनकी आवश्यकतानुसार बरही, कटनी रेलवे स्टेशन, ब्यौहारी तक पहुंचाया गया।

 

 

 

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सामान के बीच दब गए बच्चे, चीखती रही मां
बीना से मजदूरी कर लौट रही कल्हारी जिला सतना कलसा बाई ३८ अपने दो बच्चों संगीता ३ वर्ष व शिवम १ वर्ष के साथ सफर कर रही थी। हादसे के दौरान जब तीन बोगियां पटरी से उतरकर झुकी तो उनके हाथों से दोनों बच्चे भी फिसल गए। दोनों बच्चे ट्रेन में रखी गठरियां और बारियों के नीचे जाकर दब गई। कलसा बाई जब बच्चों को बचाने चीखने-चिल्लाने लगी तो अन्य यात्री उसकी मदद को आगे आए और बमुश्किल सामान के बीच दबे बच्चों को बाहर निकला। इसमें संगीता को चेहरे पर चोटें भी आई। ट्रेन में सवार झुनकी पिता छोटेलाल उम्र ५० निवासी बड़ारी सतना ने अपनी स्थानीय बोली में बताया कि हम पूरे परिवार के लोग मजदूरी करके घर लौटत रहेन। ट्रेन में बैठे-बैठे आपस में सब बोलत-बतात जात रहेन। सल्हना स्टेशन से जब गाड़ी छूटी कुछ दूर चलने के बाद तेज हुई तो अचानक अइसा लगा जैसे बैलगाड़ी में जुते हुए बैल विदक गए हो। गाड़ी सहित हम सब घिसटत चले गयेन। एकाएक गाड़ी रुकी तब सब लोग कूद-फांद करके जान बचा में जुटे।

( कटनी से शिवप्रताप सिंह, बालमीक पांडेय व धर्मेंद्र पांडेय की रिपोर्ट)

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