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कुंभ के धर्म संसद में तय होगा राममंदिर निर्माण के लिए शुभ मुहुर्त, शंकराचार्य ने और क्या कहा देखें वीडियो

locationकटनीPublished: Jan 18, 2019 11:37:00 pm

द्वारकाशारदा पीठाधीश्वर जगतगुरु शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती ने कहा कुंभ में सच्चे मन से लें पुण्यलाभयुवा और किसान खेती में करें कड़ा परिश्रम, तभी देश में उन्नति

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कटनी. ज्योतिष पीठाधीश्वर एवं द्वारकाशारदा पीठाधीश्वर जगतगुरु शंकराचार्य स्वामी श्री स्वरूपानंद सरस्वती महाराज प्रयागराज कुंभ यात्रा के पड़ाव में कटनी में रूके। यहां उन्होंने कहा कि अयोध्या में राममंदिर निर्माण को अदालत में अटकाना बुद्धिमत्ता नहीं होगी। प्रयागराज में हमारी धर्म संसद बैठने वाली है। वहां अच्छे शुभु मुहुर्त में राममंदिर निर्माण के लिए शिलान्यास की तारीख तय होगी। प्रयाग के अर्धकुंभ को लेकर पर उन्होंने कहा कि वहां पहुंच रहे सभी धर्मार्थी सच्चे मन से पुण्यलाभ लें। शंकराचार्य ने कहा कि युवा नौकरी के पीछे न पड़ें। युवा और किसान परिश्रम के साथ खेती करें, उत्पादन बढ़ाएं तभी देश उन्नति के मार्ग पर आगे बढ़ेगा। किसान कर्जमाफी को बेहतर बताते हुए शंकराचार्य ने कहा कि खेती में किसान को लागत तक नहीं मिल रही। कर्ज लेना पड़ता है, और उसे चुका नहीं पाता है। ऐसे मेें कर्जमाफी से किसान को राहत मिलेगी तो वह और लगन से खेती करेगा।
ज्योतिष पीठाधीश्वर एवं द्वारकाशारदा पीठाधीश्वर जगतगुरु शंकराचार्य स्वामी श्री स्वरूपानंद सरस्वती महाराज प्रयाग की यात्रा के दौरान शुक्रवार की शाम कटनी पहुंचे। मिशन चौक स्थित अशोक कटारे के निवास पर रात्रि विश्राम के लिये रुके। इस दौरान पत्रिका से चर्चा के दौरान अयोध्या राम मंदिर, युवाओं में बढ़ती बेरोजगारी और कृषि को लेकर विशेष बातें कहीं। शंकराचार्य ने कहा कि सब लोग अपने-अपने धर्म के अनुसार ईश्वर की अराधना करें। युवाओं के लिए शंकराचार्य ने कहा कि सब लोग नौकरी के पीछे न पड़ें। भारत में कृषि कार्य, व्यापार सहित अन्य कई कार्य हैं उनमें लगना चाहिये। परिश्रम के द्वारा देश की उन्नति की जाये। उत्पादन बढ़ाया जाये। लोग शहर की ओर न भागें।
अयोध्या राम मंदिर को लेकर शंकराचार्य ने कहा कि राम जन्मभूमि में वास्तु शास्त्र के अनुसार राम मंदिर का निर्माण सनातन धर्मी, संत-महात्माओं सद्गृहस्थों को मिलकर करना चाहिये। यह विषय राजनीति वालों को नहीं। राजनीति से इस मामलों में बाधाएं आती हैं। एक राजनीति वाला कहता है दूसरा विरोध कर देता है। राजनीतिक लोग इसको अपना मुद्दा बना लेते हैं, लेकिन वे इस मुद्दे को पूरा करने की स्थिति में हैं ही नहीं। कोई भी पार्टी मंदिर बनाने की स्थिति में इसलिए नहीं आती क्योंकि संविधान की शपथ लेने के बाद धर्म निरपेक्षता की शपथ ले लेती है। हाइकोर्ट से यह निश्चित हो चुका है जहां पर रामलला विराजमान हैं वह राम जन्मभूमि है। ऐसी स्थिति में अब इसको अदालत में अटकाना बुद्धिमत्ता नहीं होगी। हम चाहेंगे कि इसको प्रारंभ कर दिया जाये। प्रयागराज में हमारी धर्म संसद बैठने वाली है। यदि निश्चित हो गया तो जल्दी अच्छे शुभु मुहुर्त में शिलान्यास करेंगे। प्रयाग के अर्धकुंभ को लेकर कहा कि वे कुंभ में जा रहे हैं। सभी को पुण्य लाभ लेना चाहिये।
उन्होंने कहा कि अध्यादेश व पार्लियामेंट में प्रस्ताव पर कहा कि इसकी आवश्यकता ही नहीं है। नरसिंह राव के जमाने में 67 एकड़ जमीन का अधिग्रहण हो चुका है। वह सरकारी संपत्ति है। उसमें कानूनी कार्रवाही की आवश्यकता नहंी है। अधिग्रहण के समय कहा था कि हम यह पता लागाएंगे कि विवादित भूमि में पहले मंदिर था या नहीं, यदि मंदिर सिद्ध होता है तो हम हिंदुओं को दे देंगे। हाइकोर्ट से यह निश्चित हो चुका है जहां पर रामलला विराजमान हैं वह रामजन्मभूमि है। ऐसी स्थिति में अब इसको अदालत में अटकाना बुद्धिमत्ता नहीं होगी। हम चाहेंगे कि इसको प्रारंभ कर दिया जाये। प्रयागराज में हमारी धर्म संसद बैठने वाली है। यदि निश्चित हो गया तो एक अच्छे शुभु मुहुर्त में शिलान्यास करेंगे। प्रयाग के अर्धकुंभ को लेकर कहा कि वे कुंभ में जा रहे हैं। सभी को पुण्य लाभ लेना चाहिये।
शंकराचार्य ने कहा कि सब लोग अपने-अपने धर्म के अनुसार ईश्वर की अराधना करें। जीवन में पवित्रता लाएं। ऐसे जीवन जियें जिससे कि लोक का भी कल्याण हो और अंत में परलोक भी सुधर जाये। युवाओं के लिए शंकराचार्य ने कहा कि सब लोग नौकरी के पीछे न पड़ें। भारत में कृषि कार्य, व्यापार सहित अन्य कई कार्य हैं उनमें लगना चाहिये। सब नौकरी में आ जायेगे तो देश में उत्पादन कैसे होगा। सबसे आवश्यक है कि देश में कड़ा परिश्रम किया जाये। परिश्रम के द्वारा देश की उन्नति की जाए। उत्पादन बढ़ाया जाए। इससे स्वाभाविक लोग से सब खुशी होंगे।
किसान कर्जमाफी को लेकर शंकराचार्य ने कहा कि यह अच्छी बात है कि किसानों को सुविधा मिलनी चाहिये। वास्तविकता तो यह है कि किसान जितनी लागत से अनाज उत्पन्न करता है वह लागत उसको नहीं मिलती। उसको कोई लाभ नहीं होता। आज लोग क्यों नौकरी की तरफ भाग रहे और यही हाल किसान का भी है। क्योंकि एक क्लर्क, साधारण कर्मचारी भी अपने बाथरूम में मार्बल लगा सकता है, लेकिन किसान अपने आमदनी से अपने घर को नहीं सुधार सकता। जितना भी उसको लाभ मिलता है वह खेती में ही लग जाता है, इसलिये उसे कर्ज लेना पड़ता है, और वह कर्ज चुकाने में असमर्थ हो जाता है और उसे आत्महत्या करनी पड़ती है। हम सभी यह चाहते हैं कि कृषि एक अच्छा उद्योग बने, साथ ही साथ जो दूसरे लोग कृषि से जुड़ते हैं वे कृषि से ही लाभ उठाये। शहर की ओर न भागें। अब लोग गांव से शहर की ओर भाग रहे हैं। सब लोग चाहते हैं नौकरी लग जाये, इसलिए देश में अशांति पैदा हो रहा है।

 

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