जीवन रक्षक की बदहाल स्थिति
अचानक तबियत बिगडऩे…, प्रसव पीड़ा, हादसे का शिकार होने सहित अन्य गंभीर समस्या पर लोगों को तत्काल उपचार मिले इसके लिए सरकार ने 108 एंबुलेंस की व्यवस्था की गई है। लेकिन जिले में जीवनरक्षक एक बार फिर दम तोड़ चुकी है। शहर में एक एडवांस लाइफ सपोर्ट और बेसिक लाइफ सपोर्ट मिली हैं, लेकिन पेसेंट केयर सपोर्ट के कई दिनों से पहिये थमे है। कुठला, बिलहरी और स्लीमनाबाद की तो कबाड़ हो चुकी हैं। इस परिस्थिति में प्रतिदिन कई कॉल ड्राप हो रही हैं और मरीजों को गंभीर परिस्थिति में ऑटो, बाइक व अन्य निजी साधनों से लाना पड़ रहा है। एंबुलेंस कंपनी जिगित्सा केयर एंबुलेंस की बदहाल स्थिति को सुधारने कोई ध्यान नहीं दे रही। हैरानी की बात तो यह है कि इस ओर न तो सीएमचओ और ना ही जनप्रतिनिधियों का ध्यान है। जीवरक्षक जिले में दिखावा साबित हो रही है।
तीन एंबुलेंस तो कई दिन से बंद
एंबुलेंस चालक बदहाल व्यवस्था का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि जिले की तीन 108 एंबुलेंस पिछले कई माह से बंद खड़ी हैं। ये एंबुलेंस महीनों से एजेंसी में सुधार के लिए पड़ी हैं। इसमें बिलहरी, स्लीमनाबाद और कुठला की एंबुलेंस खराब हैं। कुठला की एंबुलेंस तो तीन माह से अधिक खराब हुए हो गए हैं। अन्य स्वास्थ्य केंद्रों में अटैच 108 एंबुलेंस की व्यवस्था भी बेपटरी हैं। बहोरीबंद, ढीमरखेड़ा व रीठी की एंबुलेंस भी दम तोड़ चुकी हैं। सूत्रों से प्राप्त जानकारी के अनुसार ये एंबुलेंस एक या दो दिन चलती हैं और फिर कुछ न कुछ खराबी आने के कारण बंद हो जाती हैं।
संयुक्त संचालक के निर्देश भी नहीं आए काम
लगभग दो माह पहले संयुक्त संचालक रंजना गुप्ता स्वास्थ्य विभाग की समीक्षा करने पहुंची थी। इस दौरान जिला अस्पताल का निरीक्षण किया था। इस पर उनका ध्यानकर्षण एंबुलेंस की बदहाल व्यवस्था से कराया गया था। इस पर संयुक्त संचालक ने फटकार लगाते हुए तत्काल व्यवस्था सुधार के निर्देश दिए, लेकिन अबतक व्यवस्था नहीं सुधरी।