जानकारों का कहना है कि आगामी लोकसभा चुनाव के मद्देनजर तारिक अनवर इस बार एनसीपी के टिकट पर नहीं, बल्कि कांग्रेस के टिकट पर लोकसभा का चुनाव लड़ना चाहते थे। उन्हें बस मौके की तलाश थी। शुक्रवार का दिन मानों उनकी योजना में चार चांद लगा गया, जबकि वे अपने निर्वाचन क्षेत्र कटिहार में ही मौजूद थे, जहां से उन्होंने पार्टी छोड़ने का ऐलान किया।
दरअसल, राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि अनवर बहुत पहले ही पार्टी छोड़ना चाहते थे, लेकिन उन्हें कोई माकूल मौका हासिल नहीं हो रहा था। रफाल डील पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की भूमिका को लेकर एनसीपी सुप्रीमों शरद पवार के एक तरह से प्रधानमंत्री को क्लीन चिट दे देने से अनवर को वह मौका भी हासिल हो गया और उन्होंने अपने निर्वाचन क्षेत्र में अपने लोगों की मौजूदगी में पार्टी छोड़ने का ऐलान कर दिया।
इस्तीफा देते हुए यह बोले अनवर
अनवर ने इस्तीफे की घोषणा करते हुए मीडिया से कहा कि शरद पवार के बयान से विपक्षी एकता कमजोर हुई है। उन्होने कहा कि पवार के बयान से सरकार के गलत फैसले को बल मिल गया है। वह विपक्ष के एक जिम्मेदार और कद्दावर नेता हैं उनके रुख से विपक्ष के मुद्दे की धार कमजोर हुई है।
यह बोले थे पवार
बता दें कि पवार ने रफाल मुद्दे पर सरकार का बचाव करते हुए कहा था कि प्रधानमंत्री के इरादे पर शक नहीं किया जा सकता। अनवर ने अपना इस्तीफा लोकसभा अध्यक्ष को भेज दिया है। पार्टी से इस्तीफे को शरद पवार के पास भेज दिया है। अनवर के साथ प्रदेश एनसीपी की पूरी इकाई ने भी पार्टी से इस्तीफे का ऐलान किया है।