यहां से हुई शुुरुआत
इस पथ संचलन की शुरूआत कासगंज शहर के नदरई गेट स्थित प्रभु पार्क मैदान से की गई। बता दें इस पथ संचलन में हर उम्र के व्यक्ति ने हिस्सा लिया और पथ संचलन में इस बार छोटे छोटे बच्चों ने भी बढ़ चढ़ कर हिस्सा लिया। पथ संचलन में वे भी बड़े लोगों के साथ साथ छोटे छोटे बच्चे भी पथ संचलन निकालते समय उत्साह से काफी लबरेज देखे गए। वहीं इस पथ संचलन के दौरान पुलिस प्रशासन भी अलर्ट रहा और पुलिस ने इस पथ संचलन शहर में निकलने के दौरान बड़े वाहनों का रूट भी डायवर्जन किया और शहर के अंदर ई रिक्शा और बड़े छोटे वाहन भी जाने से रोक दिए और मुख्य मार्गों पर बेरियर भी लगाए गए।
इसलिए निकालते हैं पथ संचलन
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के वरिष्ठ कार्यकर्ता दीप चंद माहेश्वरी ने बताया कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की स्थापना सन 1925 में हुई थी और यह पथ संचलन शौर्य का प्रतीक भी है और हमारे संघ के कार्यकर्ता एक अनुशासन में नगर में पथ संचलन करते हैं। ये किसी को दिखाना हमारा उद्देश्य नहीं है। अपने अंदर जो अनुशासन का भाव है, वो जागरूक रहता है और समय समय पर हमने देखा है, कि विदेशों द्वारा जो आक्रमण हम पर हुए थे, चौबीसों साल में बारह सौ आक्रमण हुए थे, जो ओर दो साल में एक आक्रमण ऐसा हुआ देश की रचना भिन्न भिन्न हुई थी, क्योंकि हमें अपने पूर्वजों पर ओर अपने गौरव पर गर्व होना चाहिए, वो हमने छोड़ दिया था तो राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ऐसे ही भाव उतपन्न करता है।
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के वरिष्ठ कार्यकर्ता दीप चंद माहेश्वरी ने बताया कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की स्थापना सन 1925 में हुई थी और यह पथ संचलन शौर्य का प्रतीक भी है और हमारे संघ के कार्यकर्ता एक अनुशासन में नगर में पथ संचलन करते हैं। ये किसी को दिखाना हमारा उद्देश्य नहीं है। अपने अंदर जो अनुशासन का भाव है, वो जागरूक रहता है और समय समय पर हमने देखा है, कि विदेशों द्वारा जो आक्रमण हम पर हुए थे, चौबीसों साल में बारह सौ आक्रमण हुए थे, जो ओर दो साल में एक आक्रमण ऐसा हुआ देश की रचना भिन्न भिन्न हुई थी, क्योंकि हमें अपने पूर्वजों पर ओर अपने गौरव पर गर्व होना चाहिए, वो हमने छोड़ दिया था तो राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ऐसे ही भाव उतपन्न करता है।