साइकिल का नाम ही बचा है। सबकुछ बर्बाद हो गया।
झोपड़ी की राख तो शीतल हो गई, लेकिन दिल के अरमा अभी तक जल रहे हैं
बच्ची की आँखों में दर्द है, बर्तन पूरी तरह खाली हो गए।
चारा काटने की चक्की के ऊफर छप्पर था, कुछ नहीं बचा।
घर में रखा गेहूं भी जल गया, अब खाने के लिए दाना तक नहीं बचा।
महिलाओं का रुदन सुनकर पत्थर दिल भी पसीज गए।
जहां इस समय पानी दिखाई दे रहा है, वहां कभी झोपड़ियां यानी गरीबों के घर थे, आग ने सबको लील लिया।